आईआईटी कानपुर ने रक्षा अनुप्रयोगों के लिए क्रांतिकारी तकनीक का किया शुभारंभ
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने मेटामटेरियल सरफेस क्लोकिंग सिस्टम (अनलक्ष्य एमएससीएस ) के शुभारंभ के साथ स्टील्थ तकनीक में एक अग्रणी प्रगति की घोषणा की। अग्रणी शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा विकसित, यह अभिनव प्रणाली मल्टीस्पेक्ट्रल स्टील्थ क्षमताओं में एक नया मानदंड स्थापित करती है, जो रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा और विशिष्ट उद्योगों में परिवर्तनकारी अनुप्रयोग प्रदान करती है।इस अनावरण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित, एवीएसएम,वीएम , वीएसएम, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, सेंट्रल एयर कमांड, भारतीय वायु सेना (एलएएफ) उपस्थित थे, तथा लेफ्टिनेंट जनरल चेरिश मैथसन, पीवीएसएम, एसएम, वीएसएभ और एयर मार्शल राजेश कुमार, पीविएसएम, एवीएसएम, वीएम,एडीसी , मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । इस अवसर पर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल, प्रो० तरुण गुप्ता, डीन, आरएंडडी, आईआईटी कानपुर और मेटा तत्व सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक एयर वाइस मार्शल प्रवीण भट्ट, एयर कमोडोर अजय चौधरी और ब्रिगेडियर अभिनंदन सिंह सहित प्रतिष्ठिते रक्षा क्षेत्र के लीडरों की उपस्थिति ने समारोह को और समृद्ध बना दिया।अनलक्ष्य एमएससीएस , आई आई टी कानपुर भौतिकी विभाग के प्रोफेसर अनंथा रामकृष्ण, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर कुमार वैभव श्रीवास्तव और आईआईटी कानपुर के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जे रामकुमार के दिमाग की उपज है, जिसे उनके प्रतिभाशाली छात्रों की टीम: श्री गगनदीप सिंह, डॉ काजल चौधरी और डॉ अभिनव भारद्वाज के साथ-साथ अन्य पीएचडी विद्वानों के द्वारा विकसित किया गया है। यह कपड़ा आधारित ब्रॉडबैंड मेटामटेरियल माइक्रोवेव अवशोषक एक व्यापक स्पेक्ट्रम में लगभग पूर्ण तरंग अवशोषण प्रदान करता है, जो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) इमेजिंग के खिलाफ स्टील्थ क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है।इस अवसर पर बोलते हुए, आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा, "प्रो. रामकृष्ण, प्रो. श्रीवास्तव, प्रो. रामकुमार और छात्र समूह को असाधारण स्टील्थ गुणों वाली इस उल्लेखनीय सामग्री को विकसित करने के लिए बधाई, जो अत्यंत उन्नत और अद्वितीय है। हमें उम्मीद है कि यह नवाचार हमारे रक्षा बलों की स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। मुझे विश्वास है कि आईआईटी कानपुर रक्षा क्षेत्र के लिए उभरने वाली ऐसी कई और तकनीकों का नेतृत्व करेगा
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