कृषि यंत्रीकरण के सदुपयोग से होगा, बेहतर फसल अवशेष प्रबंधन: डॉ जे पी यादव
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि ने संचालित इटावा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर आज पांच दिवसीय फसल अवशेष प्रबंधन योजना अंतर्गत प्रशिक्षण प्रारंभ हुआ। इस अवसर पर इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर डॉ जेपी सिंह यादव द्वारा बताया गया कि फसल अवशेष प्रबंधन से मृदा के कटाव को रोका जा सकता है। डॉ यादव ने किसानों से फसल अवशेष प्रबंधन के साथ-साथ सह फसली खेती एवं मेड़ों पर पेड़ लगाने की सलाह दी। कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉक्टर विजय बहादुर जयसवाल ने किसानों को बताया कि मृदा में फार्म मशीनरी द्वारा फसल अवशेषों को सड़ाने से मृदा की सतत उर्वरता बनी रहती है। उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी इंजीनियर धीरज ने किसानों को कृषि यंत्रीकरण जैसे हैप्पी सीडर, सुपरसीडर, मल्चर, जीरो टिलेज आदि कृषि यंत्रों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा की फसल अवशेषों का प्रबंध करने से कार्बन मोनोऑक्साइड में कमी लाई जा सकती है। कार्यक्रम में इंजीनियरिंग कॉलेज के सह प्राध्यापक डॉक्टर राजीव ने बताया कि फसल अवशेषों के प्रबंधन करने से मृदा की उर्वरता कायम रखी जा सकती है। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ बी एस चौहान, सुनीता मिश्रा, राम प्रसाद स्टेनोग्राफर तथा केंद्र द्वारा अंगीकृत गांव नगला रतन, चंद्रपुरा, नगला पलटू,पृथ्वी रामपुर तथा कुसौली के 25 कृषकों ने प्रतिभा किया।
|