केंद्रीय कृषि मंत्री की अगुवाई में राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन-खरीफ अभियान
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अटारी जोन 3 कानपुर के निदेशक डॉक्टर एस के दुबे ने बताया कि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह की अगुवाई में नई दिल्ली स्थित पूसा कैंपस के भारत रत्न सी. सुब्रह्मण्यम ऑडिटोरियम में कृषि खरीफ अभियान 2025 पर राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन संपन्न हुआ। सम्मेलन में 10 से ज्यादा राज्यों के कृषि मंत्रियों ने पूसा कैंपस पहुंचकर और अन्य कृषि मंत्रियों ने वर्चुअल जुड़े व कृषि की उन्नति की दिशा में केंद्र के साथ मिलकर कार्य करने पर सहमति जताई। श्री चौहान ने कहा कि आज हमने किसानों की मेहनत से अन्न के भंडार भर दिए हैं। उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। मैं अपने वैज्ञानिकों को बधाई दूंगा। अभी हमने चावल की दो किस्में विकसित की है, जिससे उत्पादन बढ़ेगा, 20 दिन पहले फसल तैयार हो जाएगी, पानी बचेगा, मीथेन गैस का उत्सर्जन कम होगा, जल्द ही ये किस्में किसानों को उपलब्ध कराई जाएंगी। 2014 के बाद 2,900 नई किस्मों का विकास हमारे वैज्ञानिकों ने किया है।
उन्होंने कहा कि ये खरीफ कॉन्फ्रेंस कोई औपचारिकता नहीं है। आगे रबी कॉन्फ्रेंस दो दिन के लिए होगी। हमारा काम है उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पाद के ठीक दाम देना, आपदा में सहायता करना, फलों और फूलों की खेती को बढ़ावा देना है। श्री चौहान ने कहा कि ये धरती केवल हमारे लिए नहीं है, ये धरती आने वाली पीढ़ियों के लिए भी स्वस्थ रखना है। अत्यधिक उर्वरकों के इस्तेमाल से धरती का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। मैं कृषि मंत्री हूँ तो 24 घंटे मुझे यही सोचना चाहिए कि किसानों की बेहतरी कैसे हो। हमें मेहनत के साथ काम करना हमें कृषि के लिए उपलब्ध संसाधनों का उचित उपयोग सुनिश्चित करते हुए खेती की उन्नति के लिए काम करना होगा। हमें लैब से लैंड तक टेक्नोलॉजी और रिसर्च को पहुँचाना ही होगा। इस कड़ी में श्री चौहान ने ‘विकसित भारत संकल्प अभियान’ के जरिए वैज्ञानिकों की टीम के गठन और उनके किसानों तक पहुंच बनाने की रूपरेखा भी रखी और बताया कि किस प्रकार से यह टीमें गांव-गांव पहुंचकर किसानों के बीच जागरुकता के लिए काम करेंगी। उन्होंने कहा कि हमारे पास 16 हजार वैज्ञानिक हैं, जिनमें से 4-4 वैज्ञानिकों की टीमें बनाकर जमीनी स्तर पर जागरुकता का अभियान चलाया जाएगा। इन टीमों का उपयोग किसानों की सेवा के लिए होगा। ये साल में दो बार निकलेंगी। रबी फसल के लिए अक्टूबर में अभियान चलेगा। श्री चौहान ने राज्यों के कृषि मंत्रियों से इस अभियान से सक्रिय रूप से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि जब-तक हम सब मिलकर एक दिशा में नहीं चलेंगे, तब तक खेती किसानी के हित में वांछित परिणाम प्राप्त नहीं होंगे।
सम्मेलन में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री राम नाथ ठाकुर भी शामिल हुए। राज्यों से आए मुख्य सचिवों, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, कृषि आयुक्त, अन्य वरिष्ठ अधिकारियों, वैज्ञानिकों ने भी शिरकत की। कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने सम्मेलन की रूपरेखा रखी तथा राज्यों के साथ समन्वय और तालमेल के साथ काम करने की बात कही। सचिव (उर्वरक) रजत कुमार मिश्रा ने भी प्रस्तुति दी। आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. एम.एल. जाट ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय कृषि धीरे-धीरे जलवायु अनुकूल होती जा रही है, जो बड़ी उपलब्धि है। कम हेक्टेयर में ज्यादा उपज के लिए भी कार्य प्रतिबद्धता के साथ चल रहा है। आईसीएआर के डीडीजी (कृषि प्रसार) डॉ. राजबीर सिंह ने विकसित कृषि संकल्प अभियान के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। डीडीजी (फसल विज्ञान) डॉ. डी. के. यादव ने भी प्रस्तुति दी। मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक राहुल सक्सेना ने मौसम के संबंध में जानकारी दी। संयुक्त सचिव अजित कुमार साहू, पूर्णचंद्र किशन और सैमुअल प्रवीण कुमार ने भी प्रेजेंटेशन दिया। कृषि मंत्रालय की संयुक्त सचिव पेरिन देवी ने आभार व्यक्त किया।