आई बैंक 16 जिलों को दे रहा है,आंखों में रोशनी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। हरियाली और बहती नदियों को देखना ,कुछ नेत्र हीन मरीजों की किस्मत में नही था,लेकिन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलेट अस्पताल में आई बैंक की स्थापना होने से कई नेत्रहीनो की दुनिया देखने का सपना पूरा हो रहा है। डॉ शालिनी मोहन ने बताया कि हैलेट अस्पताल में आई बैंक बनने से जागरूकता अभियान सफल हो रहा है। आई बैंक बनने से पहले आठ से दस कार्निया महीने में अस्पताल को मिलती थी,अब हर दिन एक कार्निया मिल रही है,जिससे अब जरूरत मंद नेत्रहीन मरीज दुनिया देख रहे हैं। डॉ शालिनी मोहन का कहना है ,अब पंद्रह दिन तक कार्निया रखा जा रहा है।कुछ अस्पताल को जरूरत पर दो कार्निया प्रत्यारोपण के लिए दिया गया ।डॉ शालिनी मोहन का कहना है,सत्तर साल के बुजुर्ग का कार्निया प्रत्यारोपण के लिए मिल जाता है, अब जागरूकता अभियान में युवा नेत्र दान ,महा दान की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी,युवा नेत्र का मिलना, छोटे बच्चों को नेत्र प्रत्यारोपण में बड़ा योगदान मिलेगा ।
- नेत्रदान कौन नहीं कर सकता है
नेत्र रोग विभागध्यक्ष डॉ शालिनी मोहन ने बताया कि हेपेटाइटिस बी और सी के मरीज, एड्स की बीमारी, थैलेसीमिया के मरीज, सेप्टीसीमिया के मरीज नेत्रदान नही कर सकते है।
- कौन कर सकता नेत्रदान है
मोतियाबिंद के मरीज, आंखों में पर्दे की बीमारी, डायबिटीज के मरीज, हार्ट अटैक के मरीज। दुनिया को नई रोशनी दे सकते हैं।