ऑनलाइन आमसभा में निजीकरण और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में आंदोलन जारी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ऑनलाइन मीटिंग हुई आमसभा में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि निजीकरण और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों के विरोध में आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक निजीकरण का निर्णय निरस्त नहीं किया जाता और उत्पीड़नात्मक कार्यवाहियों को वापस नहीं लिया जाता । संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत आने वाले 42 जनपदों में प्रदेश की सबसे गरीब जनता रहती है। निजी घराने मुनाफा के लिए काम करते हैं जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के लिए बिजली एक सेवा है। ऐसे में निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी जिसे इन जनपदों की गरीब जनता बर्दाश्त नहीं कर सकती। निजीकरण का निर्णय व्यापक जनहित में तत्काल निरस्त किया जाए। बिजली कर्मी उसी क्षण आंदोलन समाप्त कर दिन रात बिजली व्यवस्था सुधारने के कार्य में जुट जाएंगे। संघर्ष समिति ने कहा कि विधानसभा का सत्र प्रारंभ होने के पहले ही समस्त विधायकों को एक पत्र भेजकर झूठे आंकड़ों और भय के वातावरण के बीच निजीकरण करने की पूरी दास्तान बताइ जाएगी। संघर्ष समिति ने कहा कि सबसे बड़ा उत्पीड़न 19 मार्च 2023 को ऊर्जा मंत्री की घोषणा के बाद आज ढाई वर्ष गुजर जाने के बावजूद बिजली कर्मियों पर की गई कार्यवाहियों को वापस न लेना है। ऊर्जा मंत्री समझौते से मुकर गए हैं और अब संघर्ष समिति के पदाधिकारी, जिनके साथ उन्होंने लिखित समझौता किया था, के साथ वार्ता करने के लिए भी तैयार नहीं है। इससे पूरे प्रदेश की बिजली कर्मचारियों में भारी गुस्सा व्याप्त है। बिजली कर्मियों की ऑनलाइन आमसभा के अतिरिक्त केस्को मे निजीकरण और उत्पीड़न के विरोध में विरोध प्रदर्शन का क्रम जारी रहा।
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