यूपीयूएमएस में “हृदय सेतू-स्टेमी केयर नेटवर्क प्रोग्राम” का एक दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न
*स्टेमी केयर से बचाई जा सकती है हृदय रोगियों की जान – कुलपति
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस हृदयाघात (हार्ट अटैक) के मामलों में समय पर इलाज से मरीज की जान बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (यूपीयूएमएस), सैफई के संयुक्त तत्वावधान में “हृदय सेतू – स्टेमी केयर नेटवर्क प्रोग्राम” के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
यह प्रशिक्षण इटावा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद और कन्नौज जनपदों के चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि—
"इस प्रशिक्षण का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हृदयाघात से पीड़ित व्यक्ति को त्वरित और समन्वित चिकित्सा सहायता मिल सके। इस नेटवर्क के माध्यम से इलाज प्रबंधन प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाकर हम अनेक हृदय रोगियों की जिंदगियाँ बचा सकते हैं।”
क्या है स्टेमी केयर नेटवर्क?
कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) सुभाष चंद्र ने बताया कि स्टेमी (ST-Elevation Myocardial Infarction) हार्ट अटैक का एक गंभीर रूप है, जिसमें मृत्यु की संभावना अधिक रहती है।
इस स्थिति में ईसीजी पर विशेष पैटर्न दिखाई देता है, जिससे कार्डियोलॉजिस्ट यह तय कर पाता है कि मरीज को तत्काल कौन-सा उपचार देना आवश्यक है। ऐसे मरीजों को खून पतला करने वाला इंजेक्शन (थ्रॉम्बोलाइटिक थैरेपी) देकर उनकी जान बचाई जा सकती है।
सीवीटीएस विभागाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह ने जानकारी दी कि यूपीयूएमएस सातवें में हब के रूप में इस नेटवर्क के तहत चार जिलों के नोडल ऑफिसर और पैरामेडिकल स्टाफ को एक विशेष व्हाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया है।
जैसे ही किसी सीएचसी या जिला अस्पताल में सीने में दर्द के लक्षण वाला मरीज आता है, उसका ईसीजी किया जाता है और ग्रुप पर भेजा जाता है। मुख्य अस्पताल (हब) का कार्डियोलॉजिस्ट उस ईसीजी को देखकर तुरंत उपचार संबंधी सलाह देता है।
यदि रिपोर्ट गंभीर हो तो मरीज को तुरंत थ्रॉम्बोलाइज किया जाता है और स्थिति स्थिर होने पर उसे संबंधित हब हॉस्पिटल भेजा जाता है।
कार्यक्रम में प्रति कुलपति प्रो. (डॉ.) रमाकांत, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस.पी. सिंह, संकाय अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) आदेश कुमार, संकाय सदस्य चार जिलों के चिकित्सक एवं मेडिकल स्टाफ उपस्थित रहा।