पहली बार इंटरनल इलियाक आर्टरी बैलून ऑक्लूजन प्रक्रिया को सफलतापूर्वक दिया अंजाम
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | रीजेंसी हॉस्पिटल में (आज/कल) आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक उल्लेखनीय चिकित्सा उपलब्धि के बारे में बताया। दरअसल, प्लेसेंटा एक्रीटा सिंड्रोम वाली एक हाई रिस्क गर्भावस्था में एडवांस्ड इंटरनल इलियाक आर्टरी ऑक्लूज़न बैलून प्लेसमेंट का सफल ऑपरेशन किया गया। यह जटिल और जीवनरक्षक सर्जरी डॉ. आरती सिंह और डॉ. साकेत निगम के नेतृत्व में एक मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम द्वारा की गई, जिसने मां और बच्चे दोनों की जान बचाई गई।
सिजेरियन डिलीवरी के दौरान सटीकता और समन्वय के साथ की गई यह प्रक्रिया, रीजेंसी हॉस्पिटल की गंभीर ऑब्स्टेट्रिक (प्रसूति आपात) स्थितियों के प्रबंधन में दक्षता को दर्शाती है। सर्जरी के दौरान गर्भाशय में रक्त प्रवाह को अस्थायी रूप से नियंत्रित कर टीम ने अत्यधिक रक्तस्राव को प्रभावी ढंग से रोका — जो कि पीएएस में सबसे बड़ा जोखिम होता है। इस तकनीक की बदौलत मरीज की जान बचाई जा सकी। इस उपलब्धि के बारे में बताते हुए रीजेंसी हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजी एवं ऑब्सटेट्रिक्स कंसल्टेंट, डॉ आरती सिंह ने कहा, "प्लेसेंटा एक्रीटा केस का सफल इलाज करने के लिए बहुत ज्यादा सटीकता की जरूरत होती है, टीम के साथ कोआर्डिनेशन की जरूरत होती है, और अच्छी तैयारी की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में हर एक क्षण मायने रखता है, ऑपरेशन के पहले की प्रक्रिया से लेकर सर्जरी करने तक हर एक पल बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस सर्जरी की सफलता हमारी की टीम की काबिलियत और मैटर्नल केयर में स्थापित सर्वोत्तम स्टैण्डर्ड के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।"इस केस के बारे में और जानकारी साझा करते हुए रीजेंसी हॉस्पिटल के इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी डॉयरेक्टर कंसलटेंट डॉ साकेत निगम ने कहा, "इस केस की सफलता दिखाती है कि अब एडवांस्ड लाइफसेविंग मैटर्नल केयर मेट्रो शहरों के बाहर भी प्रदान किया जा सकता है। यह सफलता रीजेंसी हॉस्पिटल की स्थानीय स्तर पर टेरटीयरी लेवल एक्सपर्टीज को प्रदान करने की क्षमता को दर्शाती है। इस केस की सफलता से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं को नई उम्मीद मिली है।"प्लेसेंटा एक्रीटा सिंड्रोम एक गंभीर ऑब्स्टेट्रिक बीमारी है। इसमें प्लेसेंटा असामान्य रूप से गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है या उस पर आक्रमण करता है, जिससे प्रसव के बाद अक्सर बहुत ज्यादा रक्तस्राव होता है। यह बीमारी अब ज्यादा महिलाओं में देखी जाने लगी है, खासकर यह समस्या उन महिलाओं में ज्यादा होती है जिनकी पहले सिजेरियन डिलीवरी हुई होती है। इसके ज्यादा आक्रामक रूपों, जैसे प्लेसेंटा इन्क्रीटा या प्लेसेंटा परक्रीटा में प्लेसेंटा गर्भाशय की मांसपेशियों या मूत्राशय जैसे आस-पास के अंगों में भी प्रवेश कर सकता है। ऐसा होने से सर्जरी द्वारा इसका इलाज करना काफी मुश्किल हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान गर्भाशय को खून की आपूर्ति करने वाली पेल्विक आर्टरीज (श्रोणि धमनियों) में कैथेटर्स को डाला गया।