पराली (पुआल) को खेत में न जलाएं, बनाएं खाद बढ़ेगी मृदा उर्वरता: डॉ खलील खान
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, दलीपनगर के मृदा वैज्ञानिक डॉ खलील खान ने किसानों से अपील की है कि वे अपने खेतों में धान व अन्य खरीफ फसलों की हार्वेस्टर से कटाई उपरांत फसल अवशेषों को खेत में जलाने से उनके जड़, तना, पत्तियां आदि के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
डॉ खलील खान ने बताया कि फसल अवशेषों को जलाने से मृदा के तापमान में वृद्धि हो जाती है। जिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत असर पड़ता है। मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। जिसके कारण मृदा में उपस्थित जीवांश अच्छी प्रकार से सड़ नहीं पाते और पौधे पोषक तत्व प्राप्त नहीं कर पाते हैं। परिणाम स्वरूप अगली फसल के उत्पादन में गिरावट आती है। इसके अतिरिक्त वातावरण के साथ-साथ पशुओं के चारे के लिए भी व्यवस्था करने हेतु समस्या आती है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों में आग लगाने से वायु प्रदूषण से अस्थमा और एलर्जी जैसी कई प्रकार की घातक बीमारियों को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने किसान भाइयों को सलाह दी है कि फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन कर कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाकर खेतों मैं प्रयोग करें। इससे खेत की उर्वरा शक्ति के साथ ही भूमि में लाभदायक जीवाणु की संख्या में भी वृद्धि होगी। मृदा के भौतिक एवं रासायनिक संरचना में सुधार होगा।जिससे भूमि की जल धारण क्षमता एवं वायु संचार में वृद्धि होती है। फसल अवशेषों के प्रबंधन करने से जल वाष्प उत्सर्जन भी कम होता है। जिससे सिंचाई जल की उपयोगिता बढ़ती है। यदि भूमि का पीएच मान अधिक है तो फसल अवशेष प्रबंधन से मृदा का पीएच मान सामान्य किया जा सकता है। डॉ खान ने कहा कि फसल अवशेषों का उचित प्रबंधन करते हुए लाभ प्राप्त कर किसान लाभान्वित हो भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हुए वातावरण को स्वच्छ बनाएं। मृदा वैज्ञानिक डॉ खान ने अपील की है कि वह धान एवं अन्य खरीफ की फसलों की हार्वेस्टर से कटाई के उपरांत फसल अवशेष प्रबंधन हेतु आधुनिक प्रमुख कृषि यंत्र जैसे तवेदार हैरो से जुताई करके फसल अवशेषों को खेत में दबा दें।जिससे मृदा में जीवांश कार्बन की बढ़ोतरी होगी। फसल अवशेष खाद का कार्य करेगी। इसके अतिरिक्त फसल अवशेषों को खेत में फैला कर डी कंपोजर का प्रयोग करते हुए 8 से 10 दिन में फसल अवशेष सड़ जाएगी। जिससे मृदा को सारे पोषक तत्व मिल जाते हैं और अगली फसल गुणवत्ता युक्त प्राप्त होती है।