निःसंतान महिलाओं को मिलेगे मां का सुख
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के जच्चा बच्चा अस्पताल में निःसंतान से परेशान होकर कई महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती है। उनके लिए विभाग में ओवेरियन पीआरपी की शुरूआत की गई है। विभाग में डॉ.उरूज जहां ने सर्वप्रथम निःसंतान ग्रस्त तीन महिलाओं को इसमे शामिल किया, जिनमे से एक महिला में सफलता मिली है। डॉ.उरूज जहां ने बताया कि ओवेरियन पीआरपी एक प्रजनन उपचार है, जिसमें महिला के अपने रक्त से प्लेटलेट-समृद्ध प्लाज्मा निकालकर अंडाशय में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे डिम्बग्रंथि कायाकल्प होता है। यह वृद्धि कारकों की मदद से अंडे की गुणवत्ता और संख्या को बेहतर बनाने, रक्त प्रवाह बढ़ाने और कम अंडाशय रिजर्व वाली महिलाओं की प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है, जिससे गर्भावस्था की संभावना बढ़ती है। ओपीडी में आई तीन महिलाओं को पीआरपी के लिए चिन्हित किया गया था, जिनको 10 से 15 वर्ष से संतान सुख प्राप्त नहीं हो रहा था, इनमे से लालबंगला निवासी 40 वर्षीय महिला ने 15 वर्ष बाद एक बच्ची को जन्म दिया है। केस में पीआरपी के साथ आईयूआई भी किया गया था। जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ है। इनका समय-समय पर फॉलोअप भी किया गया। वहीं, दो महिलाओं को किसी कारण गर्भपात हो गया। इच्छुक निसंतानता ग्रस्त महिलाओं को ओवेरियन पीआरपी की सुविधा दी जाएगी। बताया कि इसमे विभागाध्यक्ष डॉ.रेनू गुप्ता, डॉ.नीना गुप्ता, डॉ.पाविका लाल, डॉ.रश्मि यादव आदि का सहयोग रहा।
-ऐसे तैयार कर की जाती है इंजेक्ट
डॉक्टर के मुताबिक इसके लिए पहले महिला के हाथ से थोड़ी मात्रा में रक्त लिया जाता है। पीआरपी तैयार करने के लिए रक्त को एक सेंट्रीफ्यूज मशीन में घुमाया जाता है, ताकि प्लेटलेट्स को प्लाज्मा से अलग किया जा सके और एक गाढ़ा, प्लेटलेट-समृद्ध घोल बनाया जा सके। इंजेक्शन की मदद से इस पीआरपी को अल्ट्रासाउंड के माध्यम के मार्गदर्शन के तहत सीधे अंडाशय में इंजेक्ट किया जाता है। इसके बाद पीआरपी में मौजूद वृद्धि कारक निष्क्रिय स्टेम कोशिकाओं और फॉलिकल्स को सक्रिय करने का काम करते है, जिससे अंडे की गुणवत्ता और संख्या में सुधार होता है। कमजोर ओवरी में जान आती है। एंटी-म्यूलरियन हार्माेन के स्तर में सुधार हो सकता है।