फरहान के वैक्सीनप की कीमत पर किया सवाल,लोगों ने सुनाई खरी-खोटी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस फिल्म जगत- जहां देश में कोरोना महामारी अपनी चरम पर है और पूरे विश्व में भारत में बनी वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है, ऐसे में अपने ही देश के कुछ लोग ऐसे है जिनका मेडिकल से कोई लेना देना नही है, उनकी फील्ड अलग है लेकिन वह वैक्सीन के सम्बन्ध में अपना अलग ही ज्ञान बांटते नजर आते है। इतना ही नही वैक्सीन के सम्बन्ध में सवाल खडा कर लोगों के वैक्सीन के प्रति संदेह पैदा करते नजर आते है। इन लोगों को इस बात का अंजादा नही कि उनको देश में कितने लोग जानते है और कितने उनकी बातों पर ध्यान देते है, ऐसे मंे गलत सूचना लोगों पर खासा प्रभाव डालती है। वैसे तो देश में कई लोग और नेता भारत में निर्मित वैक्सीन पर सवालखडा कर चुके है, लेकिन अब बाॅलीवुड अभिनेता फरहान अख्तर ने भी वैक्सीन को लेकर सवाल खडा कर दिया है,जसके बाद सोशल मीडिया में उनका यूजर जमकर लताड रहे है। कंगना भी पीछे नही है और उन्होने फरहान को उनके सवाल का जवाब दिया है।
कोई भी हो यदि वह ऐसे गंभीर समय में जब आम जनमानस को वैक्सीन की जरूरत है कोई वैक्सीन पर ही सवाल खडा करता है तो यह देश के सम्मान, देश के वैज्ञानिको के सम्मान में एक धब्बा होता है। सोशल मीडिया में फिल्म अभिनेता फरहान अख्तर ने वैक्सीन
को लकर सवाल खडा किया है। बतादें की सीरम इंढिटटयूट आॅफ इंडिया द्वारा प्राइवेट अस्पतालों मे ंकोविशील्ड वैक्सीन की एक खुराक की कीमत 600
तय की गयी है। यही वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में 18 से अधिक उम्र वालों को 400 की मिलेगी, जबकि केंद्र को यह वैक्सीन पहले की तरह 150 रूपए
में बेंची जायेगी। फरहान ने इसपर आपत्ति जताते हुए एक पेपर की कटिंग शेयर करते हुए लिखा है कि जब 150 रू0 वाली वेक्सीन पर भी फयदा हो रहा है
ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों को वैक्सीन के लिए 600 रूपए चुकाने पडेंगे। सीरम इंस्टिटयूट आॅफ इंडिया हमे बताये कि ऐसा क्यों है। इस पोस्ट के बाद उन्हे लगातार
सोशल मीडिया में ट्रोल किया जा रहा है और लोग अपनी रिप्लाई दे रहे है। अभिनेत्री कंगना रनौत ने फरहान को सवाल का जवाब देते हुए कहा कि दूसरे देश हमें
वैक्सीन के लिए कच्चा माल उपलब्ध करा रहे है, वे इसे किस कीमत परखरीदते है और किस कीमत पर बेंचते है, ये उनकी अर्थव्यवस्था और आबादी के हिसाब से तय
किया जाता है। हमने फेक प्रोपेगेंडा के कारण कई टन टीके बर्बाद कर दिए है और अब अमेरिका ने हमारे कच्चे मला को रोक दिया है। एक अन्य यूजर ने लिखा है कि
फरहान से पूंछा कि क्या उन्होने कभी 200 रूपए की मूवी टिकट या फिर 400 के पाॅपकाॅर्न, 100 रू0 का कोकाकोला और 50रूपए के पानी का विरोध किया है। एक अन्य यूजर ने कमेंट किया कि अच्छी शुरूआत है फरहान, एक बार महामारी खत्म हो, अपनी आवाज को मूवी थिऐटर में मिलने वाले पाॅपकाॅर्न की कीमत के लिए भी उठाना तो वहीं सैयद हिदायत हसन ने लिखा कि 600 रूपए देना अस्पताल में लाख रूपए और आईसीयू केड से ज्यादा ठीक है।
आज की जरूरत ये हैकि कच्चा माल मिले, जिसे यूएस ने बैन कर दिया है। यूजर्स पूर्वेश मेहता लिखते है कि भाई हम आपके पिरवार के लिए पैसे दे देंगे। इसे मुददा मत बनाओ। मैने तुम्हारी फिल्म कभी थिएटर में नही देखी है तो ये मौका है अल्पसंख्यको की मदद के लिए और मै जरूर करूंगा। यूजर्स के कमेंट पर फिलहाल फरहान ने अपनी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नही की है वहीं सीरम इंस्टिटूयट ने बयान जारी करते हुए कहा कि प्रारम्भ में वैक्सीन की कीमत दुनिया में कम थी, क्योंकि य उन देशों के अग्रिम वित्त पोषण परआधारित थी, जिसमें वैक्सीन निर्माण का जोखिम शामल था। मौजूदा हालात बिलकुल अलग है और वायरस लगातार रूप बदल रहा है। हमे सुनिश्चिम करना होगा महामारी से लडने के लिए क्षमता विस्तार में निवेश करना है और लोगो की जान बचानी है।कंपनी के अनुसार वैक्सीन को थोडे से हिस्से को निजी अस्पतालों में 600 रूपए प्रति खुराक की दर पर बेचा जायेगा जो कई दूसरे चिकित्सकीय उपचारों की तुलना में कम है।
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