यूक्रेन से घर आई छात्रा,माता-पिता की छलकी आंखे, सुनाई आपबीती तो भावुक हुए लोग
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता। छिबरामऊ के रहने वाले ब्रजपाल शाक्य की दो बेटियां यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने के लिए गयी थी।हालांकि 16 फरवरी को जब युद्ध की तारीख आई तब से ब्रजपाल शाक्य काफी परेशान हो गए।और उनको बेटियों की चिंता भी सताने लगी।इसी बीच हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस टीम ने भी ब्रजपाल के घर जाकर उनसे बातचीत की थी और उनसे वहां के हालातों के बारे में जानकरी भी ली थी।आज उनकी दोनो बेटियां कामना और करिश्मा सुरक्षित घर आ गयी है।दोनो बेटियों के देख कर ममता मयी माता पिता दोनो ही भावुक हो गए।यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध जैसे छिड़ने से भारत के करीब 20 हजार छात्र फस गए है।जिनको धीरे-धीरे वहां से निकाला जा रहा हैं। ऐसे में इत्र नगरी के छिबरामऊ के रहने वाले ब्रजपाल शाक्य की दो बेटियां भी यूक्रेन में फंसी हुई थी,जो आज सुरक्षित अपने घर आ गयी है।
क्या था पूरा मामला
ब्रजपाल शाक्य की दो जुड़वा बेटी कामना और करिश्मा हैं।कामना ने बताया है कि वह एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए Turnovel National Medical University गयी थी।जहा पर सब कुछ ठीक था।पढ़ाई सही से हो रही थी।वहां अचानक शांति हो गयी थी।क्योंकि एक दिन पहले मेल आया कि सब कुछ ठीक हैं।अगर हमको युद्ध का आभास होता तो हम पहले ही आ जाते।यूनिवर्सिटी के लोग कह रहे थे कि सब ठीक हैं,डरने की जरूरत नहीं हैं।जिस दिन युद्ध की तारीख आयी थी।उस दिन भी हम कॉलेज गए थे।इसके बाद हम लोगो के पास एक नोटिस आया कि सायरन बजे तो आप सबको बंकर में जाना हैं।अगर सायरन 1मिनट का बजता है तो सारी लाइट को बंद रखना है,यहा तक की फोन लाइट भी।यदि उनको लाइट दिखी तो वो निशाना लगा सकते हैं।बंकर में माइनस डिग्री तापमान था।और बंकर में जाने के लिए साथ मे खाने का इंतजाम भी खुद किया था।24 फरवरी को कोई ब्लॉस्ट नहीं हुआ था।लेकिन दिन करीब 5 बार सायरन बजे थे।25 फरवरी को भी कोई ब्लॉस्ट नहीं हुआ।किंतु रूस के ड्रोन्स देखे गए थे।26 फरवरी को ब्लॉस्ट शुरू हो गए थे।इसके बाद भी यूनिवर्सिटी की ओर से छात्रों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई।तो खुद से बस की टिकट बुक की तब रोमानिया बॉर्डर पहुंचे।