प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में फंसे बच्चों की मदद
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।रूस से जारी जंग के बीच यूक्रेन में कई भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। छात्रों को वापस देश लाने की कवायद शुरू हो चुकी है।यूक्रेन में फंसे कुछ छात्रों ने भारत सरकार से स्थिति तनावपूर्ण होने पर अपने बच्चों को वहां से जल्द से जल्द निकालने का आग्रह किया है।जिसके तत्वाधान में प्रज्ञा त्रिपाठी एवं अकील रजा को सकुुशल अपने घर पहुंचे। तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।नगर निवासी अरुण त्रिपाठी की पुत्री मेडिकल छात्रा प्रज्ञा त्रिपाठी एवं ग्राम डुडबाबुजुर्ग निवासी महफूज का पुत्र आकिल रजा भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा के तहत बीती रात सकुशल अपने घर अपनों के बीच पहुंच गए हैं। मेडिकल छात्रा प्रज्ञा त्रिपाठी एवं छात्र आकिल रजा ने जानकारी देते हुए बताया कि जिस समय रूस ने पहले दिन यूक्रेन पर हमला किया था।उस से पांच दिन पहले ही हम लोगों को वहां की सरकार एवं भारतीय दूतावास के अधिकारियों द्वारा अलर्ट कर दिया गया था।लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह थी कि अचानक एयरलाइंस की टिकट बुक नहीं हो पा रही थी। किराया कई गुना अधिक मांगा जा रहा था। हम लोग प्रयास कर ही रहे थे कि अचानक एयर सायरन बजना शुरू हो गया। खतरे की घंटी बजते ही हम सभी लोगों को हजारों की संख्या में बंकरो में पहुंचा दिया गया। उधर भारतीय दूतावास के अधिकारियों के निर्देश पर बस द्वारा रोमानिया बॉर्डर पहुंचे। जहां सैकड़ों की संख्या में भारतीय छात्र छात्रा भारतीय झंडे को हाथों में पकड़े देखकर रोमानिया की फौज द्वारा बिना किसी देरी किए बॉर्डर के अंदर ले लिया गया।उन्होंने कहा कि रोमानिया के नागरिक एवं वहां के लोग बहुत ही सहयोगी प्रवृत्ति के दिखाई दिए। आपातकाल की स्थिति में रोमानिया के लोगों एवं प्रशासन द्वारा उनका हर प्रकार से सहयोग किया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन गंगा की भी सराहना की। दोनों छात्रों द्वारा बताया गया कि यूक्रेन के कीव एवं खारकीव शहरों में अभी भी हजारों की संख्या में भारतीय मेडिकल छात्र छात्राएं फंसे हुए हैं। वर्तमान में रूस द्वारा किए जा रहे ताबड़तोड़ हमलों के बीच उनकी स्थिति बहुत नाजुक है। वह न तो अपने बकरों से बाहर निकल सकते हैं और न ही किसी सुरक्षित स्थान पर जा सकते हैं। कर्नाटक के छात्र नवीन द्वारा वहां से बचकर बॉर्डर तक पहुंचने की कोशिश की गई। जिसको रूसी सैनिकों द्वारा गोली मार दी गई। यूक्रेन संकट से बच कर अपने घर पहुंचे दोनों छात्र छात्राओं ने भारत सरकार से अपील करते हुए कहा कि किसी भी तरह रूस एवं यूक्रेन सरकारों पर दबाव बनाकर मिडिल ईस्ट यूक्रेन में फंसे हजारों छात्र-छात्राओं की जान बचाने के लिए कुछ करें। प्रज्ञा के घर पहुंचने की खुशी जाहिर करने के उपरांत एक प्रश्न के उत्तर में अरुण त्रिपाठी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा संकट की इस घड़ी में जो रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। उसकी तारीफ के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं तो सिर्फ बच्चे का पिता हूं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधान सेवक बनकर जहां एक ओर देश की सेवा की है। तो वहीं उन्होंने प्रधान पिता बनकर यूक्रेन संकट के दौरान फंसे बच्चों की रक्षा भी कर रहे हैं।