फाइलेरिया से है बचना तो दवा का सेवन अवश्य करना है:सीएमओ
-स्वास्थ्य अधिकारियों ने फाइलेरिया की दवा खाकर किया फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ
-घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मी अपने सामने खिलाएंगे फाइलेरिया की दवा
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ आलोक प्रजापति
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।जनपद सहित प्रदेश के 19 जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम शुरु हो गया है।गुरुवार को शहर के बिनोद दीक्षित चिकित्सालय परिसर में सीएमओ कार्यालय स्थित सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी डा.विनोद कुमार ने सबसे पहले स्वंय फाइलेरिया की दवा खाकर फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ कराया।इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद सभी प्रशासनिक व स्वास्थ्य कर्मियों ने दवा खाकर फाइलेरिया रोग का समूल नाश करने का संकल्प लिया।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी डा. बिनोद कुमार ने कहा कि फाइलेरिया एक लाइलाज रोग है। इस रोग से शरीर स्थाई अपंगता का शिकार हो जाता है, इस रोग का बचाव ही इलाज है, इसलिए हम सब का कर्तव्य है कि साल में एक बार फाइलेरिया की दवा का सेवन अवश्य करें। यह दवा आपको फाइलेरिया रोग से सुरक्षित रखेगी इसको खाना है फेंकना नहीं।संचारी रोग नियंत्रण के नोडल अधिकारी डा. बृजेश शुक्ला ने सम्बोधित करते हुए कहा कि जनपद में लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डीईसी और अल्बेंडालोल की निर्धारित खुराक कोविड सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए खिलाई जाएगी। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को यह दवाएं नहीं खिलाई जाएंगी। उन्होंने बताया कि हाईड्रोसील हो जाना, हाथी पाँव हो जाना यानी पैरों में सूजन हो जाना, महिलाओ के स्तन में सूजन आ जाना यह सब फ़ाईलेरिया रोग के लक्षण हैं, फ़ाईलेरिया रोग मच्छरों द्वारा फैलता है। खासकर क्यूलैक्स मादा मच्छर के जरिए, जब यह मच्छर किसी भी फाइलेरिया रोग से ग्रसित व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है, फिर यह मच्छर रात के समय किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काट लेता है तो फाइलेरिया रोग के परजीवी रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया रोग से ग्रसित कर देते हैं। ज्यादातर संक्रमण अज्ञात या मौन रहते हैं और लंबे समय बाद इनका पता चलता है। इस बीमारी का कारगर इलाज नहीं है। इसकी रोकथाम ही इसका समाधान है। फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखने पर भी इस दवा का सेवन करना जरूरी है। जिला मलेरिया अधिकारी हिलाल अहमद खान ने बताया कि फ़ाईलेरिया रोग प्रबंधन के लिए 2 वर्ष से ऊपर तथा 5 वर्ष से छोटे बच्चों को डीईसी. की 1 टैबलेट और एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट दी जाएगी, एवं 5 वर्ष से ऊपर और 15 वर्ष से छोटे बच्चों को डी.ई.सी.की 2 टैबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट तथा 15 वर्ष से ऊपर सभी व्यक्तियो को डी.ई.सी. की 3 टेबलेट व एल्वेंडाजोल की 1 टैबलेट दी जायेगी। डी.ई.सी. एवं अलबेन्डाजोल की टैबलेट को खाली पेट नहीं खाना चाहिए। यह दवाएं खाना खाने के बाद खानी है, ऐसे व्यक्ति जो अधिक बीमार हो, गर्भवती एवं दो वर्ष से कम आयु के बच्चों को फाइलेरिया की दवा नहीं खिलाई जाएगी। डीएमओ ने कहा कि अभियान के चलते जिले के लगभग 18 लाख लोगों को दवा खिलाई जायेगी। इसके लिए विभाग द्वारा 1780 टीमों को लगाया गया है। साथ ही प्रत्येक ब्लॉक में एक रैपिड रिस्पांस टीम का गठन किया गया है, अगर किसी को दवा खाने के बाद कोई परेशानी होती है तो टीम द्वारा फौरन उसका इलाज किया जाएगा। कार्यक्रम में प्रमुख रुप से सहायक मलेरिया अधिकारी मुकेश दीक्षित, फाइलेरिया निरीक्षक सिदार्थ कुमार, परवीना वेगम सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।
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फाइलेरिया के लक्षण:
सामान्यतः तो इसके कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं। बुखार, बदन में खुजली तथा पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द और सूजन की समस्या दिखाई देती है। पैरों व हाथों में सूजन, हाथी पाँव और हाइड्रोसिल के रूप में भी यह समस्या सामने आती है।
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फाइलेरिया से बचाव
मच्छरों से बचने के लिए मच्छर दानी का प्रयोग करें। घर के आस-पास कूडे को इकठ्ठा न होने दें,कूडेदान का प्रयोग करे। आसपास पानी न जमा होने दे। गन्दे पानी में केरोसिन भी डाल दे। चोट या घाव वाले स्थान को हमेशा साफ़ रखे। पूरी बाजू का कपड़ा पहने।