अपनी बेटी को खुश देखना चाहते हैं तो दुसरों की बेटी का भी सम्मान करो- पं दीपक कृष्ण महाराज ।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | श्राद्ध पक्ष के उपलक्ष्य में 11 से 17 सितंबर तक राम मानस मंदिर निराला नगर कानपुर में निशंक फाउंडेशन द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस की कथा को प्रारम्भ करते हुए प दीपक कृष्ण महाराज ने भक्तों को भाग्य और ज्ञान के बीच का अर्थ समझाते हुए उनका मार्गदर्शन किया और कहा- हम जैसा कर्म करते हैं हमें फल भी वैसा ही मिलता है। हमारे सभी कर्मों का फल हमें स्वयं ही भोगना होता है। आज के समय में लोग ज्ञान के अभाव में कोई भी कार्य करने की समझ नहीं रख पाते हैं। समाज में आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों का ध्यान काफी हद तक भटकता जा रहा है। लोग बिना कुछ समझे ही किसी की भी बातों में आकर भेड़-चाल की तरह चलते जा रहे हैं। पूज्य महाराज ने भारत की जनता से आग्रह करते हुए कहा कि हम सभी को अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए, अपने धर्म के प्रति, अपने सनातनियों के प्रति, अपने संत महात्माओं के प्रति, अपने भगवान के प्रति कोई गलत प्रचार करें तो वहां आप अपने विवेक का इस्तेमाल करें। कथा के मध्य पूज्य महाराज ने पितृ पक्ष में कथा श्रवण कर रहे सभी भक्तों को बताया कि पितरों को प्रसन्न करने का विशेष उपाय बताया व साथ ही कहा- हमारे देश में ऐसे बहुत से घर हैं जहां श्राद्ध नहीं किया जाता, लोग अपने पितरों के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते जिसके कारण उन्हें जीवन भर दुख भोगना पड़ता है, परेशानियां उठानी पड़ती है।आगे पूज्य महाराज ने बताया- मनुष्य योनि में तीन ऋण प्राप्त है- ऋषि ऋण, पितृ ऋण और देव ऋण, इन तीनों ऋणों से ही मनुष्य को अपनी यात्रा पूर्ण करनी चाहिए जिसके बाद ही मनुष्य को मुक्ति की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार एक पति पत्नी का सम्बंध होता है ठीक उसी प्रकार आत्मा और परमात्मा के बीच बहुत गहरा सम्बंध होता है। पूज्य महाराज ने दहेज प्रथा को लेकर समाज में चल रही बुराईयों से भक्तों को अवगत काराया और सभी देशवासियों को दहेज न लेने का संदेश दिया। जो बेटियां शादी के बाद अपने ससुराल जाती हैं उनका मन कभी नहीं दुखाना चाहिए, उसकी आत्मा जितनी सुखी होगी उतना ही आपका घर तरक्की करेगा। अगर आप अपनी बेटी को खुश देखना चाहते हैं तो दुसरों की बेटी का भी सम्मान करो कभी भी बहु और बेटी में भेदभाव न करें। पूज्य महाराज ने कथा के समापन दिवस पर भक्तों को सच्चा मानव बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने बताया कि रामायण, पुराण, वेद, भागवत पाठ ही हमें मानव बनाती है। पौराणिक ज्ञान का होना बहुत ही आवश्यक है जिसने यह ज्ञान ले लिया वो जीवन भर सुखी रहेगा।
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