गणेश जी के पूजन के बिना सफलता संभव नहीं - आशुतोष आनंद गिरी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस चौबेपुर वाराणसी त्रिपुरदाह करते समय जब भगवान शंकर का निशाना बार-बार चूक जा रहा था, तब माता पार्वती ने गणेश भगवान का पूजन किया क्योंकि जब महादेव त्रिपुरदाह करना चाह रहे थे तब गणेश जी बार-बार उनके पैरों में खुजली कर देते थे । भगवान गणेश के पूजन के बाद शंकर जी को सफलता मिली । इसलिए भगवान शंकर ही क्यों ना हो बिना गणेश के पूजन के सफलता नहीं मिलती उक्त प्रवचन सोनबरसा में चल रहे रूद्र चंडी महायज्ञ एवं शिव महापुराण के छठवे दिन स्वामी आशुतोष आनंद गिरी महाराज ने बताया दीपदान के प्रताप से ही गुण- निधि कुबेर पद को प्राप्त कर लिए और शंकर जी के मित्र बनने का सौभाग्य अर्जित किया। इसलिए मंदिर में दीप दान करना चाहिए कभी भी दीपक को देव प्रतिमा से सटाकर नहीं रखना चाहिए जिसमें दीप लौ की छाया देव प्रतिमा पर नहीं पढ़नी चाहिए जिससे बहुत बड़ा अपराध लगता है ।वही महाराज श्री ने बताया पहले उम्र की व्यवस्था नहीं थी अतः काम क्रोध लोभ आदि विकार बचपन से ही लोगों में सवार हो जाता था जिसके फलस्वरूप सामाजिक मर्यादा कायम नहीं हो पा रही थी ।माता संध्या ने भगवान शंकर की विशेष आराधना कर वरदान स्वरुप वर मांगा जिसमें उन्होंने बाल्यावस्था और वृद्धावस्था में कोई व्यक्ति कामाधिन न हो । महाराज ने बताया एक मुखी से लेकर 13 मुखी रुद्राक्ष उपलब्ध हैं अपनी आवश्यकता अनुसार रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए परंतु एक मुखी रुद्राक्ष और एक मुखी आदमी बहुत मुश्किल से मिलता है ।
मुख्य जजमान के रूप में मुन्नू चौबे ,सावित्री देवी, हनुमान चौबे, चंदा देवी, सोनी सिंह, मुन्ना चौबे एवं आयोजक पवन चौबे सहित सभी लोग उपस्थित रहे ।