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  15. -आषाढ़ी को लेकर महादेवी वर्मा घाट पर गंगा स्नान व भंडारे का आयोजन सुबह 9 बजे।
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  17. -जिला अस्पताल व राजकीय मेडिकल कालेज तिर्वा में कोरोना जांच सुबह 10 बजे।
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  19. जिलें के सभी थानों में वाहन चेंकिग अभियान सुबह 11 बजे।
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  21. कन्नौज:-तिर्वा के बाबा दौलेश्वर धाम में योग शिविर सुबह 5 बजे।
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  23. -जिलें के सभी थानों में वाहन चेंकिग अभियान सुबह 11 बजे।
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  25. -छिबरामऊ स्थित बस्ती राम आवास विकास कालोनी में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का जन्मदिन मनाया जाएगा सुबह 11 बजे ।
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  27. -जिलें की तीनों तहसीलों में पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर कैम्प सुबह 10 बजे।
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  29. -कलेक्ट्रेट स्थित गांधी सभागार में विकास कार्यों की बैठक शाम 5 बजे।
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  31. कन्नौज:- तिर्वा के बाबा दौलेश्वर धाम में योग शिविर सुबह 5 बजे।
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  33. मामले की पीड़ित इतर व्यापारी से की बात,क्षेत्र यूसुफ पुर भगवान मोहल्ले का मामला।
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  35. कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक सहित कई बड़े इतर व्यापारी भी मौके पर
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  37. इतर व्यापारी के घर जा कर खुद कर रहे जांच,
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  39. कानपुर मंडल आईजी प्रशान्त कुमार पहुँचे कन्नौज,
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उपराष्ट्रपति ने यूके में भारतीय समुदाय को किया संबोधित
Updated: 5/6/2023 11:51:00 PM By Reporter-

उपराष्ट्रपति ने यूके में भारतीय समुदाय को किया संबोधित

हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस नई दिल्ली यह यात्रा मेरे लिए हमेशा स्मरणीय रहेगी, मैं इसे संजो कर रखूंगा। सांसदों के साथ मेरा महत्वपूर्ण प्रबुद्ध वार्तालाप हुआ है। यह ऐसा अवसर नहीं है कि मैं एक लंबा भाषण दूँ, लेकिन मैं एक बात अवश्य कहना चाहूँगा कि भारत को अपने प्रवासी भारतीयों पर गर्व है। वे भारत के 24X7 एंबेसडर हैं। यहां पर 1.7 मिलियन और पूरी दुनिया में 32 मिलियन। मिसाल के तौर पर उनकी प्रशंसा की जानी चाहिए और उनकी इस मिसाल को हर तिमाही में स्वीकार किया जाता है कि वे अपनी कर्मभूमि और जन्मभूमि के लिए भी पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और अपने अदभुद सामर्थ्य के साथ इस शानदार संतुलन को बनाए रखते हैं।वर्तमान में भारत एक ऐसा लोकतंत्र है जो सभी वैश्विक मापदंडों पर सबसे अधिक कार्यात्मक है। यदि आप देश के तीनों अंगों विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को देखें, तो आप महसूस कर सकते है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कार्यपालिका ने मानवता के 1/6 हिस्से को एक कल्पनातीत स्तर पर रूपान्तरित कर दिया है। लोगों की पीड़ा को कम करने, आम आदमी को सशक्त बनाने वाले सभी सामाजिक मानदंडों और घटकों पर त्वरित स्तर पर कार्य हो रहे हैं। ढांचागत विकास, जिसके बारे में पहले कभी सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था, आज जमीनी हकीकत है। हम इसे सड़क, रेल, वायु या तकनीकी संपर्क के साक्ष्य के रूप में देखते हैं। मैंने सांसदों को केवल एक उदाहरण देने के लिए संकेत दिया था कि भारत में 2022 में डिजिटल भुगतान लेनदेन की राशि 1.5 ट्रिलियन थी। यदि मैं अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के संबंध में आंकड़ों को एक साथ भी लेता हूं तो यह उनसे चार गुना है।हमारे पास 700 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और केवल उपयोगकर्ता ही नहीं, उन्होंने भारत की सेवा वितरण प्रणाली को एक ऐसे स्तर पर बदल दिया है जिसकी पहले कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। पारदर्शिता, जवाबदेही और वितरण प्रणाली की भावना नया मंत्र है। 11 करोड़ किसानों को वर्ष में तीन बार सीधे उनके खाते में, बिना किसी बिचौलिए के, धनराशि मिल रही है जो अब तक 2.2 लाख करोड़ की धनराशि के बराबर है।

आप देख सकते हैं कि कैसा परिवर्तन हुआ है। सत्ता के गलियारों को सत्ता के दलालों से मुक्त कर दिया गया है और संपर्क एजेंटों का फलता-फूलता उद्योग अब अस्तित्व में नहीं है। इस व्यवस्था को बनाने के लिएकार्य किया गया है।एक ऐसे इकोसिस्टम का विकास हुआ है जो प्रत्येक युवा को अपनी ऊर्जा और क्षमता को पूरी तरह से सामने लाने में सक्षम बनाता है और इसमें कोई आर्थिक बाधा भी नहीं है। यदि मैं मुद्रा ऋणों की बात करता हूं, तो वितरित की गई उस राशि को देख सकते हैं जिससे प्रत्येक ऋण प्राप्तकर्ता, जिनमें से अधिकांश महिलाएं है, रोजगार प्रदाता बन चुके हैं। कौशल विकास और क्षमता निर्माण हर स्तर पर नया मानदंड है।34 वर्ष बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनी है। मैं शिक्षा से लाभान्वित हूं। अगर मुझे छात्रवृत्ति नहीं मिली होती तो मैं वह नहीं होता जो आज मैं हूं। शिक्षा सबसे प्रभावी, सक्षम, परिवर्तनकारी तंत्र है। केवल शिक्षा ही है, जो समाज में असमानताओं पर ध्यान देती है, कमजोर लोगों को और युवाओं को सशक्त बनाती है। यही कुछ हमारे देश में हो रहा है।क्या आपके पास भारत की तरह से ही समर्पित न्यायपालिका है? इस समय हमारे पास भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सबसे प्रबुद्ध व्यक्तियों में से एक हैं, एक ऐसा व्यक्ति जो अपने समृद्ध अनुभव, प्रतिबद्धता, उत्साहके साथ-साथ अत्यधिक प्रतिभाशाली है। उनके आदेशों पर नज़र डालें तो एक साधारण आदमी को राहत देने में उन्हें जरा भी देर नहीं लगती। शासन की गतिशीलता में हमेशा समस्याएं रहेंगी; ऐसा कोई दिन नहीं होगा जब कोई समस्या नहीं होगी लेकिन जब हम अपनी न्यायपालिका का मूल्यांकन करते हैं, तो यह एक मजबूत आधार होती है। शीर्ष अदालत से लेकर अगर निचले स्तर तक भी देखें तो आम आदमी के लिए भारतीय न्यायपालिका की पहुंच का कोई मुकाबला नहीं है। कल्पना कीजिए कि यह कितनी उत्कृष्ट उपलब्धि है!लोकसभा के लिए चुने जाने वाले हमारे सांसदों को देखिए। यह सबसे कठिन परीक्षा होती है। जो उच्च सदन में हैं वे बहुत प्रतिभाशाली हैं। हमें अपने सांसदों पर गर्व है। इस प्रक्रिया में यदि हम एक संक्षिप्त सीमित क्षेत्र का मूल्यांकन करते हैं और उसके बारे में निर्णय लेते हैं, तो यह उचित नहीं होगा। इसलिए, मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि भारतीय लोकतंत्र इस समय उस स्तर पर काम कर रहा है जो दुनिया में कहीं भी बेजोड़ है।

क्या आप धरा पर किसी अन्य ऐसे लोकतंत्र का नाम बता सकते हैं जहां संविधान ग्रामीण स्तर पर, नगरपालिका स्तर पर, राज्य स्तर पर, केंद्रीय स्तर पर, सहकारी स्तर पर संवैधानिक तंत्र प्रदान करता हो? भारत में यह सब व्यवस्थित है। हमारे संस्थान पूरी तरह से स्वतंत्र हैं। भारत का चुनाव आयोग अद्भुत रूप से कार्य करता है। सांसदों ने एक जानकारी दी थी कि भारतीय निर्वाचन आयोग दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए एक प्रकाश स्तंभ हो सकता है कि कैसे कम से कम समय में निष्पक्षता और कुशलता से चुनाव कराएं जाऐं इस मामले में एक मार्गदर्शक कारक हो सकता है।भारत में अब हमारे पास एक इकोसिस्टम है- आप कोई भी हों लेकिन आप कानून के प्रति जवाबदेह हैं। कोई भी कानून की पहुंच से बाहर नहीं है। किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जा सकता है क्योंकि हमारे पास एक मजबूत न्यायिक प्रणाली है और वर्तमान में, न्यायिक प्रणाली का नेतृत्व एक ऐसे व्यक्ति के द्वारा किया जा रहा है जो आधारभूत रूप से, नैतिक रूप से या बौद्धिक रूप से इसके योग्य है। इसलिए मैं आपसे आग्रह करूंगा कि यह सही समय है कि हम मानसिक चिंतन करें और राष्ट्र को हमेशा प्रथम रखें। हमें समग्र रूप से एक गर्वित भारतीय होना चाहिए और अपनी ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए।दुनिया का कौन सा ऐसा देश है जो कोविड महामारी से इतनी सफलतापूर्वक निपटने का दावा कर सकता है? उल्लेनीय है कि प्रत्येक भारतीय को, जिसे टीकाकरण की खुराक की आवश्यकता थी, निःशुल्क रूप से समय पर, अंशांकित तरीके से इसे उपलब्ध कराया गया और उसका प्रमाणीकरण उसके स्मार्ट फोन पर उपलब्ध है। यहां तक कि सबसे विकसित देश भी इस मामले में मुकाबला में नहीं हैं। लोग खाद्य सुरक्षा की भी बात कर रहे हैं क्योंकि भारत में 80 करोड़ लोगों को अप्रैल 2020 से अद्तन गुणवत्तापूर्ण चावल, अनाज, दाल मिल रही है।किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए मूलभूत बुनियादी ढांचागत विकास को अगर देखते हैं तो जहाँ हमें पहले सड़क मार्ग से घंटों लग जाते थे, आज हमारे पास विश्व स्तरीय एक्सप्रेस-वे, मोटर-वे, वायुमार्ग और निश्चित रूप से ग्राम स्तर तक तकनीकी मार्ग हैं। जब रेल की बात आती है, तो हमारे पास राजधानी और अन्य ट्रेनें हुआ करती थीं, लेकिन अब हमारे पास वंदे भारत है। जब हम हवाईअड्डों को देखते हैं तो अब वहां भी विकास कई गुणा स्तर पर बढ़ रहा है और इन सब का कारण भारत के समृद्ध मानव संसाधन और इसके लोगों का डीएनए है जो कौशल को शीघ्रता से हासिल करने में सक्षम हैं।अब भारत के किसी भी गांव में चले जाइए, आपको गुणवत्तापूर्ण मार्ग मिल जाएंगे। आब उन्हें पासपोर्ट के लिए आवेदन करने के लिए कहीं और नहीं जाना होगा, गांव में ही कोई उनके लिए यह कर देगा। ड्राइविंग लाइसेंस या आधार कार्ड के लिए भी कोई न कोई वहां उपलब्ध है। टिकट बुक करने के लिए या सेवा वितरण के लिए भुगतान करने के लिए, चाहे वह पानी का या बिजली का बिल हो उसके लिए भीकोई न कोई उपलब्ध है। भारत में इस समय कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे रोजगार की आवश्यकता हो और उसे मिल न रहा हो। इस फलते-फूलते लोकतंत्र में, जहां केंद्र बिंदु आम आदमी का सशक्तिकरण है, वहां कुछ विरोधी स्वर भी हैं हालाकि उच्च स्तर पर यह शांत हो जाते हैं। आपको चिंतन करना चाहिए।मैं यहां पक्षपातपूर्ण बयान देने नहीं आया हूं। लेकिन मैं इतना ही कह सकता हूं कि यह भारत की संस्कृति रही है कि जब हम अपने देश की सीमाओं से बाहर कदम रखते हैं, तो हम देश के राजदूत के रूप में बाहर निकलते हैं और इसका सबसे बड़ा उदाहरण 1992 से पांच वर्ष तक हमारे प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के शासन के दौरान हुआ और डॉ. मनमोहन सिंह उनके वित्त मंत्री थे। विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी जी, जो बाद में देश के प्रधानमंत्री बने, उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। यही हमारी संस्कृति है और यह हमारे सभ्यतागत लोकाचार में गहराई से अंतर्निहित है।दुनिया का कोई भी देश हमारे जैसा सभ्यता इतिहास होने का दावा नहीं कर सकता। हमारे उपनिषदों, वेदों, भागवत गीता के प्रबुद्ध प्रवचनों को देखें और वर्तमान भारत को देखें यहाँ विविधता में एकता है। मैंने स्वयं इसे दो रूपों में देखा है; एक तीन वर्ष के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और अब देश के उपराष्ट्रपति के रूप में। मैं यहां उपस्थित आप सभी से आग्रह करूंगा, और यह कोई सांख्यिकीय संख्या नहीं है, जैसा कि मैंने संसद सदस्यों को बताया- क्योंकि उनमें से प्रत्येक एक विशाल खंड और एक विचार प्रक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है, और आप सभी भी ऐसा करते हैं।इसलिए मैं एक अपील करता हूं, 32 मिलियन भारतीय समुदाय एक दुर्जेय जनसांख्यिकीय घटक है और यह जनसांख्यिकीय घटक अत्यधिक योग्य, सशक्त और सतर्क है, जो देश को हर तरह से गौरवान्वित करता है। इसे कई मुद्दों पर चिंतनशील होना चाहिए; अगर हमें प्रगति दर्ज करनी है तो कोई भी आलोचना, समीक्षा और अन्वेषण से ऊपर नहीं है। हर कोई इन घटकों के अधीन है, लेकिन तब हम इनसे प्रभावित नहीं हो सकते। भारत के लिए गौरव का क्षण आ चुका है; गौरव का यह क्षण जमीनी हकीकत से झलक रहा है। दुनिया इसे पहचान रही है। सभी मानकों के अनुसार, भारत अवसरों की भूमि है, निवेश के लिए एक पसंदीदा गंतव्य है और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में, यहां तक कि दबावपूर्ण अवधि में भी, यह सबसे तेजी से बढ़ रहा है। इसका कारण सकारात्मक शासन है। एक नया मंत्र दिया गया, “न्यून सरकार, अधिक शासन”।हम भारत में ऐसे समय में हैं जहां एक विचार को शीघ्रता से कार्यान्वित किया जाता है। अगर विचार अच्छा है तो उसे तेजी से क्रियान्वित करना होगा और वह क्रियान्वयन बुनियादी ढांचे (हवाई अड्डे, बंदरगाह) और गांव के विकास में बड़े निवेश के साथ हो रहा है। इसलिए, आप में से प्रत्येक को 24X7 भारत का एक राजदूत होना चाहिए। एक दृष्टिकोण का संकेत दिया गया था: क्या हम सब कुछ स्वीकृत करते हैं? हम अपने परिवार में अपनी संतान और अपने बच्चों के लिए सब कुछ मंजूर नहीं करते हैं, लेकिन यह सहयोगी, समन्वयपूर्ण और पारदर्शी मानसिकता के साथ होना चाहिए ताकि बाते स्पष्ट रूप से दिखाई दें।

अगर हमें शांतिपूर्ण माहौल में विकास करना है और वैश्विक व्यवस्था बनानी है, तो टकराव की स्थिति से बचना होगा क्योंकि इसमें मानवता के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। दुनिया इस समय भारत के उदय के प्रति सकारात्मक भाव रख रही है। यह विश्व की स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कारक होगा। भारत की आजादी के 75वें वर्ष में “अमृत काल” का पूरा उपयोग किया गया है, हर सिरे को संवेदनशील बनाया गया है। स्वतंत्रता संग्राम के नायकों और गुमनाम नायकों की पहचान करते हुए उन्हें सम्मान दिया गया है। भारत का एक प्रामाणिक तरीके से पुनर्जागरण किया गया है। 2047 में, जब भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी मनाई जाएगी, भारत की स्थिति कैसी होगी, इसके लिए एक दृढ़ आधारशिला रखी जा चुकी है।

इस समय हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। दशक के अंत तक, हम तीसरे स्थान पर होंगे। यह उपलब्धि कुछ वर्ष पहले तक हमारे सपनों से भी परे थी। इसका श्रेय प्रत्येक मेहनती भारतीय, श्रमिक, किसान, प्रभावी सरकारी नीतियों और योजनाओं के पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से निष्ठापूर्वक किए गए क्रियान्वयन को जाता है। अगर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य पर दृष्टि डाले तो विश्व अर्थव्यवस्था में एक समय ऐसा था, जब भारत का हिस्सा दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा था और यह बहुत लंबे समय तक चलता था। अब हम इसे पुनः प्राप्त करने के मार्ग पर हैं; हमारा विकास कई गुणा वृद्धि के साथ अजेय है। सभी कारक आपको बताएंगे कि भारत किस दिशा में जा रहा है।मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं, अंतरिक्ष क्षेत्र में, इसरो को देखें; पिछले 12 महीनों में इसने कितने बड़े कदम उठाए गए हैं। यहां तक कि दुनिया के सबसे विकसित देशों ने भी इसरो का उपयोग उन उपकरणों को कक्षा में स्थापित करने के लिए किया है जिसे वे आवश्यक समझते थे। भारत अब विश्व के लिए विनिर्माण गतिविधि का केंद्र है। इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि आप राष्ट्र के विकास के लिए, उसकी प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए और यह सुनिश्चित करें कि सार्वजनिक क्षेत्र में जो भी अप्रासंगिक, गलत, निराधार आख्यान हों, उन्हें समाप्त करने में अपना योगदान दें। कोई भी निष्ठापूर्ण आकलन या आलोचना के खिलाफ नहीं है। यह हमें हमेशा आगे बढ़ने और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा लेकिन अनुचित, दुर्भावनापूर्ण, हानिकारक गतिविधियां सद्बुद्धिपूर्ण विवेक की विरोधी है और हमें इसका विरोध करना चाहिए।मैं विशेष रूप से इस एक पक्षीय वार्तालाप को सुविधाजनक बनाने के विक्रम के लिए बहुत आभारी हूं, लेकिन कुछ समय पहले मैं उनके द्वारा और विद्वान सांसदों द्वारा सुझाए गए अवसर का लाभ अवश्य लेना चाहूँगा जिसमें वह मुझे फिर से एक बार आमंत्रित करने पर विचार कर रहे हैं। मुझे निमंत्रण स्वीकार करने में प्रसन्नता का अनुभव होता है। मैं इस यहाँ पर पहली बार 1988 में आया था जब मेरे पिता का ऑपरेशन हुआ था। प्रिंसेस ग्रेस अस्पताल में डॉ. जॉन राइट द्वारा उनकी बाइपास सर्जरी की गई थी। फिर मैं 1989 में यहां आया जब मुझे संघीय मंत्री के रूप में एक सांसद के रूप में चुना गया। उस वक्त भी मैंने ज्यादातर पेशेवरों और सांसदों से जुड़ाव बनाए रखा। अब, मैं भारतीय मूल के लोगों और अन्य लोगों के दृष्टिकोण में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव देखता हूं।

यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और यह केवल इसी देश तक सीमित नहीं है। मैंने यूरोपीय संसद में भी एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। डिफ़ॉल्ट रूप से ही क्यों? एक कनिष्ठ मंत्री के रूप में मैं एक उपनेता था, लेकिन यह नेता फुटबॉल के प्रति अगाध लगाव रखता था, इसलिए मैंने प्रतिनिधिमंडल को संभाला था। मैं हमेशा लोगों से कहता रहा हूं कि डर सबसे घातक है। इसलिए कभी भी डरें नहीं क्योंकि यह तनाव और दबाव को जन्म देता है। यदि आपको सपने देखने हैं, तो कृपया इसे अपने मन या मस्तिष्क में न रखें। आप सिर्फ सपने देखने के लिए ही नहीं बने हैं। एक सपने को जमीन पर क्रियान्वित करने की आवश्यकता होती है। कोई भी इंसान ऐसा नहीं है जिसने बिना गिरे जीवन में कदम बढ़ाए हों।मैं आपसे वादा करता हूं और मैं अपने वादों को पूरा करने के लिए भी जाना जाता हूं क्‍योंकि यह आदत मैंने भारत के प्रधानमंत्री से सीखी है, जो अपने वादों को सबसे तेज गति से पूरा करने के लिए जाने जाते हैं। यह वादा जरूरतमंद परिवारों को 170 मिलियन निःशुल्क गैस कनेक्शन देकर पूरा किया गया है। गरीबों को लाखों घर उपलब्ध कराए जा रहे हैं, सार्वजनिक क्षेत्र में लाखों रोजगार दिए जा रहे हैं और कम से कम समय में बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। इसलिए मैं अपना वादा निभाऊंगा, लेकिन इतना जरूर है कि किसी को यह पहल करनी होगी ताकि मैं आ सकूं।

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