आप्थाल्मिक सोसाईटी का वार्षिक आयोजन पर विशेषज्ञों के किए अनुभव साझा।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। आप्थाल्मिक सोसाईटी का वार्षिक आयोजन रविवार को किया गया। आयोजन में विभिन्न विख्यात वक्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए।आयोजन में विशेष वक्ता के रूप में आई आस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय की आचार्य स्टीफन वॉटसन कार्निया एवं लेजर सर्जरी की स्पेशलिस्ट ने बताया स्टेम थेरेपी पर 10 सालो से काम कर रहे हैं, अभी तक 3 हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज किया है, जो सफल रहा। आचार्य स्टीफन ने बताया बच्चो के आखों में चोट लगने और केमिकल गिरने से आंखो से दिखना बंद होता है, जिसे स्टेम थेरेपी के उपचार से मरीजों को राहत मिली है। दिल्ली एम्स के पदमश्री डॉ. जीवन सिंह टिटियाल ने बताया विटामिन ए की कमी से होने वाली बीमारी जिसे रतोधी कहते हैं, अब इसके लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध है, कोविड के बाद देखा गया है मयोपिया के मरीजों की संख्या बड़ी है। ईस पर रिसर्च हो रहा है।मेडिकल के संवाददाता नीयज बहल के सवाल किया कि मधुमेह में आखों का क्या असर होता है,इस पर डॉक्टर टीटियाल ने बताया मधुमेह की जानकारी होते हर बच्चे और बड़ो को हर 6 माह में अपने आंखो की जांच जरूर कराएं। देखा गया है, मधुमेह के दुष्परिणाम आखों में जल्दी आते है। 17 प्रतिशत आखों में मधुमेह का असर दिखने लगता है। जो खतरनाक है, इसमें 4 प्रतिशत लोगो को रोशनी चली जाती है, डॉक्टर जीवन ने बताया प्री मैच्योर बच्चे जो 32 हफ्ते के बच्चे भी अब पैदा होते है जिन्हे इलाज की जरूरत हमेशा रहती है। इन बच्चो रेटनोपेथी ऑफ प्री मैच्योर (आरओपी) कहते हैं। इन बच्चो के आखों की जांच हमेशा होती रहे, क्योंकि इनकी आंखो की रोशनी जाने का खतरा ज्यादा देखा गया है ।इस मौके पर प्रेसिडेंट डॉक्टर शालिनी मोहन , दिल्ली एम्स की डॉक्टर एम वनाथी डॉक्टर रितिका सचदेव, डॉक्टर शोभित चावला, डॉक्टर सुब्रधा जलाली, डॉक्टर एसपीसिंह, डॉक्टर शोभित चावला सहित डॉक्टर्स उपस्थित रहे।
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