10 अगस्त से दो सितम्बर तक खिलाई जाएगी फाइलेरिया से बचाव की दवा |
U-फाइलेरिया रोगी नेटवर्क की पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी ली जाएगी मदद |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | जिले के लोगों को लाइलाज बीमारी फाइलेरिया से बचाने के लिए अगले माह दस अगस्त से सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान शुरू किया जाएगा। इसके तहत दस अगस्त से दो सितम्बर तक तीन सदस्यों की टीम घर घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी। प्रबंधन के जरिये लिम्फोडिमा को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है । लाइलाज बीमारी फाइलेरिया (हाथीपांव) से बचने के लिए तीन साल तक लगातार साल में एक बार बचाव की दवा का सेवन जरूरी है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अभियान से पहले ही बीमारी की भयावहता के बारे में लोगों से चर्चा करें और अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता के साथ सक्रिय भूमिका निभाते हुए दवा का सेवन करवाएं।
यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन का। मंगलवार को वह 10 अगस्त से 2 सितम्बर तक प्रस्तावित फाइलेरिया के सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान के ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों के जिला स्तरीय प्रशिक्षण को सीएमओ कार्यालय स्थित एनयूएचएम् सभागार में सम्बोधित कर रहे थे। प्रशिक्षण में ब्लॉक स्तरीय प्रशिक्षकों के साथ साथ शहरी क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को दो बैच में अभियान के बारे में भी प्रशिक्षित किया गया। वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ आरपी मिश्रा ने कहा कि फाइलेरिया विश्व में दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है । आईडीए अभियान को मजबूती प्रदान कर सुनिश्चित किया जाए कि जिले में एक भी नया संक्रमण न फैलने पाए। दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को ( गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) फाइलेरिया से बचाव की तीनों दवाएं खिलानी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूयूएचओ) के जोनल कोआर्डीनेटर डॉ राहुल ने कहा कि एक से दो वर्ष के बीच के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े मारने की दवा दी जाएगी। अभियान 10 से 2 सितम्बर तक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को चलेगा । किसी को भी खाली पेट दवा नहीं खिलाई जाएगी। इसी वजह से अभियान का समय सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक रखा गया है । प्रत्येक दिन खिलाई गई दवा का विवरण ई कवच पोर्टल पर फीड करना अनिवार्य है। जिला मलेरिया मलेरिया (डीएमओ) अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि ने बताया कि इस बार समस्त ग्रामीण क्षेत्रों के साथ जिले में शहरी क्षेत्र के पाँच प्लानिंग यूनिट में यह अभियान चलेगा। पहली बार अभियान की टीम में एक पुरुष सदस्य भी रखा जाएगा ताकि हाथीपांव और हाइड्रोसील के नये पुरूष मरीजों की भी आसानी से पहचान की जा सके। इसके लिए 2980 टीम बनाई गई हैं । प्रत्येक टीम को एक दिन में 25 घर का भ्रमण कर कम से कम 125 लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलानी होगी। सहयोगी संस्था प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई) के प्रतिनिधि डीएमसी अनिरुद्ध शुक्ला की मदद से अन्तर्विभागीय संवेदीकरण व जनजागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधिगण तकनीकी सहयोग करेंगे। सीफॉर संस्था के सहयोग से जिले के पाँच ब्लॉक में बने फाइलेरिया रोगी नेटवर्क की पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी मदद ली जाएगी। इस अवसर पर समस्त अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अर्बन नोडल अधिकारी, डीपीएम, डीसीपीएम, सहायक मलेरिया अधिकारी, फाइलेरिया परामर्शदाता सहित सीफार, पाथ, पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि, फाइलेरिया रोगी नेटवर्क सदस्य राम सनेही, कैलाश व महेंद्र सिंह प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
- शहर में इन प्लानिंग यूनिट में चलेगा अभियान
डीएमओ ने बताया की जिले में इस समय हाथीपांव के 4572 और हाइड्रोसील के 725 मरीज हैं। साथ ही बताया की कानपुर के शहरी क्षेत्र के कैंट, गीता नगर , गुजैनी , ग्वालटोली और किदवईनगर में आईडीए अभियान चलेगा।
- रैपिड रेस्पोंस टीम रहेगी तैना
डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके अलावा रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलने जैसा महसूस होता है तो जैसे लक्षण होते हैं तो उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। किसी लाभार्थी को दवा सेवन के बाद किसी प्रकार की कोई कठिनाई महसूस होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी।