कृमि संक्रमण से बचाव के लिए साल में दो बार खाएं दवा
U-13 लाख से अधिक बच्चों को खिलायी जायेगी पेट के कीड़े निकालने की दवा
U-जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समन्वय हुई बैठक
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस 10 अगस्त को मनाया जाएगा। इस अवसर पर जिले में एक से 19 साल के 13 लाख से अधिक बालक-बालिकाओं को कृमि से मुक्ति के लिए पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। इसके लिये बुधवार को सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में जिला स्तरीय समन्वय समिति बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता जिलाधिकारी राकेश सिंह ने की। उन्होंने अभियान की सफलता को लेकर आवश्यक निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने बताया कि पेट में कृमि संक्रमण को रोकने के लिए बच्चों व किशोर-किशोरियों को छह-छह माह पर पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलानी जरूरी है। दवा देते समय आवश्यक रूप से यह सावधानी बरतें कि बच्चा खाली पेट न हो, अर्थात बच्चे ने दवा लेने से पूर्व कुछ न कुछ भोजन अवश्य किया हो। उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम के संबंध में अभिमुखीकरण करने के निर्देश दिए। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने कहा कि जनपद में 10 अगस्त को 13.17 लाख बच्चों को पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसे हर हाल में पूरा करने की कोशिश की जायेगी। उन्होंने कहा कि इसमें एक से पांच साल तक के सभी पंजीकृत बच्चों के साथ ही छह से 19 साल तक के स्कूल जाने वाले सभी बालक-बालिकाओं को उनके विद्यालय में दवा खिलायी जायेगी। इसमें सभी सरकारी सहायता प्राप्त, प्राइवेट स्कूलों, मदरसों में शिक्षकों से दवा खिलाने में सहयोग लिया जायेगा। अभियान में उन बच्चों को भी दवा खिलायी जायेगी जो स्कूल नहीं जाते है। साथ ही ईंट-भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों के बच्चों को भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाई जाएगी। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. सुबोध प्रकाश ने बताया कि राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस दस अगस्त को दवा खाने से छूट गये बच्चों के लिए 14 अगस्त को मॉप अप राउंड आयोजित होगा। इसमें छूटे हुए बच्चों को भी दवा से आच्छादित कर लक्ष्य को शत-प्रतिशत पूरा करने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि पेट में कीड़े होने से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। उनमें खून की कमी हो जाती है, जिसके कारण बच्चे कमजोर होने लगते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों को इस परेशानी से बचाने के लिए कीड़े निकालने की दवा उन्हें जरूर खिलाएं। डीईआईसी प्रबंधक अजीत सिंह ने बताया कि जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। इससे घबराना नहीं चाहिए और आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।दवा खाली पेट नहीं खानी है। बैठक में सभी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, उप मुख्य चिकित्साधिकारी , समस्त अधीक्षक/ प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, डीसीपीएम योगेंद्र पाल, बाल विकास परियोजना अधिकारी, डीईआईसी प्रबंधक व खण्ड शिक्षा अधिकारी सहित सहयोगी संस्था एविडेंस एक्शन के प्रतिनधि अनुज द्विवेदी शामिल रहे।