विश्व स्तनपान सप्ताह (1अगस्त-7 अगस्त) पर विशेष
*मां का दूध बच्चे के लिए पहला टीका
*स्तनपान बच्चे के सम्पूर्ण पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उत्तम विकल्प
*थीम - क्लोसिंग द गैप : ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर आल
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर नगर नवजात शिशु-मृत्यु दर में कमी लाने, शिशुओं में शारीरिक एवं मानसिक विकास करने के साथ उन्हें कुपोषण से बचाने के लिए शिशुओं को स्तनपान कराना महत्वपूर्ण माना जाता है। बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां अपना पहला गाढ़ा पीला दूध अवश्य पिलाएं, क्योंकि इसमें कोलस्ट्रोम होता है जो बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। मां का दूध बच्चे के लिए पहला टीका होता है । जन्म से छह माह तक बच्चे को सिर्फ और सिर्फ स्तनपान करवाना चाहिए। छह माह से दो साल की उम्र तक पूरक आहार देने के साथ-साथ स्तनपान भी कराना आवश्यक है । यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन का।
सीएमओ ने बताया कि स्तनपान बच्चे के सम्पूर्ण पोषण और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उत्तम विकल्प है | जन्म के पहले छह माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान कराना चाहिए। जन्म के प्रथम एक घंटे के दौरान स्तनपान शुरू करने वाले नवजातों में मृत्यु की संभावना 20 प्रतिशत कम हो जाती है। इसे लेकर जागरूकता फैलानी बहुत जरूरी है |
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल डॉ रमित रस्तोगी ने कहा कि हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है | इस साल इस सप्ताह की थीम है 'अंतर को कम करना: सभी के लिए स्तनपान सहायता', यानि स्तनपान को सुनिश्चित करने के लिए सब सहयोग करें । इसे लेकर प्रत्येक माताओं को स्तनपान के फायदे बताए जाएंगे और स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। जिला महिला चिकित्सालय डफ़रिन में स्थापित एसएनएसीयू के नोडल अधिकारी व वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ शिव कुमार का कहना है कि स्तनपान एक जीवन रक्षक व्यवहार है। जन्म के एक घंटे के अन्दर स्तनपान शुरू कराने और छह महीने तक केवल स्तनपान कराने से न केवल शिशु की पोषण सम्बन्धी सभी ज़रूरतें पूरी होती हैं, बल्कि माँ का दूध बच्चे को संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है और उसके शारीरिक और बौद्धिक विकास में भी सहायता करता है। इतना ही नहीं, वयस्क होने पर मोटापे और जीवनशैली संबंधी बीमारियों की संभावना को भी रोकता है। इसी वजह से स्वास्थ्य विभाग इस समाधान पर ज़ोर देता है।
स्तनपान के महत्व की देंगी जानकारी
नोडल अधिकारी ने बताया कि जिला अस्पताल सहित स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव कक्ष और कंगारू मदर केयर वार्ड के अलावा स्तनपान कक्ष ( ब्रेस्ट फीडिंग कॉर्नर) में महिलाओं को जागरूक किया जायेगा । इसके साथ ही विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान एएनएम, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका घर-घर जाकर गर्भवती और धातृ माताओं को छह महीने तक केवल स्तनपान कराने के महत्व के बारे में जानकारी देंगी। उनका कहना है हर 10 में आठ माताओं की यह शिकायत है कि उन्हें दूध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में बच्चा भूखा रह जा रहा है। जबकि ऐसा नहीं है। अगर सही पोजिशन पर मां बच्चे को दूध पिलाती है तो नवजात का पेट भर जाएगा और दूध भी आ जाएगा। बताया कि लोगों की सुनी-सुनाई बातों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
क्या कहते हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ-
•बाल अधिकारों पर कन्वेंशन के अनुसार हर शिशु और बच्चे को अच्छे पोषण का अधिकार है |
•45 फ़ीसद बच्चों की मौतों का कारण अल्पपोषण से जुड़ा है |
•छह माह तक के कुल 44 फीसद शिशु केवल स्तनपान करते हैं |
•स्तनपान बच्चों की आईक्यू लेवल और स्कूल की उपस्थिति में सुधार करता है | इसके अलावा वयस्क जीवन में उच्च आय से जुड़ा हुआ है |
•स्तनपान से बच्चे के विकास में तो सुधार तो होता ही है इसके अलावा स्वास्थ्य लागत कम होने से व्यक्तिगत परिवारों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक लाभ होता है |
जनपद में स्तनपान की स्थिति
राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) –5 के अनुसार कानपुर जनपद में केवल 53.9 फीसद बच्चों ने छह माह तक केवल स्तनपान किया है और 34.8 फीसद शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान कराया गया है |