लाइलाज है फाइलेरिया, केवल प्रबंधन से ही नियंत्रण सम्भव - सीएमओ
*फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल का दिया गया प्रशिक्षण
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर नगर ।सरसौल ब्लॉक के ग्राम टौंस के आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में फाइलेरिया मरीजों की देखभाल का प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर वहां पहुंचे मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन ने कहा कि फाइलेरिया जिसे हाथी पांव भी कहते हैं। यह लाइलाज बीमारी है जिसको केवल प्रबंधन से ही नियंत्रित किया जा सकता है इसलिए फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के लिए एमएमडीपी किट दी गई है। किट में तौलिया, साबुन टब और मग आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जो भी समान दिया गया है उसका उपयोग फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल में करें। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण में फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल करने के बारे में जो जानकारी दी जाए उसको अमल में लायें। उचित देखभाल न करने से फाइलेरिया रोगी दिव्यांग हो सकता है और व्यक्ति का जीवन पूरी तरह से प्रभावित हो सकता है। इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने उपस्थित फाइलेरिया मरीजों को बताया कि फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल इसलिए भी जरूरी है, ताकि उनमें व्यापक मूवमेंट हो और सूजन न बढ़े। इसके अलावा महिलाएं फाइलेरिया ग्रसित पैरों में बिछिया या पायल और हाथों में अंगूठी या चूड़ियां पहनने से बचें। फाइलेरिया प्रभावित अंगों की देखभाल के बारे में बताया कि फाइलेरिया रोगी को प्रभावित अंगों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए। प्रभावित अंगों को साबुन से धोना चाहिए लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखें कि साबुन को सीधे प्रभावित अंगों पर नहीं लगाना लगाएं बल्कि साबुन का फेना बनाकर और उसे ऊपर से नीचे की ओर हल्के हाथों से लगाना चाहिए। फिर पोंछकर उस पर एंटी सेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए।
इस मौके पर पहले से एमएमडीपी का प्रशिक्षण प्राप्त 35 वर्षीय फाइलेरिया मरीज ने बताया कि उन्होंने लगभग आठ माह पहले भी यह प्रशिक्षण लिया था और प्रशिक्षण के दौरान जो व्यायाम और साफ सफाई के बारे में बताया गया था, उस पर अमल किया जिसके परिणाम स्वरूप बाएं पैर में सूजन में कमी आ गयी।
इस दौरान सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी प्रियंका गर्ग , आशा पूनम ,किरन, कीर्ति ,बीना और सहयोगी संस्था सीफार के प्रोजेक्ट एसोसिएट राम कुमार उपस्थित रहे।