निक्षय मित्र बन टीबी रोगियों में पोषण की कमी को करें दूर - डीटीओ
*कोई भी व्यक्ति या संस्था स्वेच्छा से बन सकते हैं निक्षय मित्र
*ईएसआई अस्पताल ने पाँच क्षयरोगियों को लिया गोद, दी पोषण सामग्री
*इस वर्ष अभी तक बीस हज़ार से अधिक क्षयरोगियों को किया गया नोटिफाई
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर नगर ।जनपद को क्षयरोग मुक्त बनाने एवं प्रधानमंत्री के क्षयरोग मुक्त भारत अभियान को साकार करने के उद्देश्य से जनपद में सराहनीय प्रयास किये जा रहें हैं। इस क्रम में शुक्रवार को जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा की अध्यक्षता में पांडुनगर स्थित ईएसआई अस्पताल ने कुल पाँच टीबी मरीजों को गोद लिया और पोषण सामग्री भी वितरित की। निक्षय मित्र बन कर अब यह इन सभी क्षयरोगियों को लगातार छह महीने तक पोषण सामग्री देने के साथ ही भावनात्मक सहयोग भी प्रदान करेंगे। जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा (डीटीओ) ने बताया कि कोई भी व्यक्ति या संस्था स्वेच्छा से निक्षय मित्र बन सकते हैं। निक्षय मित्र बनने के बाद गोद लिये गये टीबी मरीज को यथा सामर्थ्य पोषक सामग्री देनी होती है। समय समय पर मरीज का फॉलो अप करना होता है ताकि बीच में दवा बंद न हो। टीबी मरीज की दवा बंद होने से जटिलताएं बढ़ जाती हैं और वह ड्रग रेसिस्टेंट (डीआर) टीबी मरीज बन सकता है, जिसका इलाज कठिन है। अगर निक्षय मित्र नियमित हालचाल लेते हैं तो टीबी मरीज का मनोबल बढ़ता है और समाज से उसके प्रति भेदभाव का भाव भी खत्म होता है। बेहतर कार्य करने वाले निक्षय मित्रों को स्वास्थ्य विभाग सम्मानित करता है।
उनका कहना है कि क्षयरोग होने के पश्चात रोगी शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है। ऐसे में हम निक्षय मित्र बनकर इन क्षय रोगियों को प्रोटीनयुक्त पौष्टिक आहार देते हैं तो मरीज टीबी की नियमित दवा के साथ पोषण की खुराक पाकर शीघ्र स्वस्थ हो जाता है।जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) राजीव सक्सेना ने बताया कि अगर लगातार दो सप्ताह तक खांसी आए, शाम को पसीने के साथ बुखार हो, सांस फूल रही हो, सीने में दर्द हो या बलगम में खून आए तो टीबी की जांच अवश्य करवानी चाहिए। अगर समय से फेफड़े की टीबी (पल्मनरी टीबी) की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए तो उपचाराधीन मरीज से दूसरे लोगों के संक्रमित होने की आशंका भी कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि जिले में इस वर्ष करीब बीस हजार से अधिक टीबी मरीजों को नोटिफाई किया जा चुका है।
ईएसआई अस्पताल की मुख्य चिकित्सक अधीक्षिका डॉ ज्योति वर्मा ने बताया कि पोषण पोटली के अंदर मूंगफली, गुड़, भुना चना, केला और सेब शामिल किया गया है और सलाह दी है कि इलाज के दौरान हरसंभव मदद करेंगे। गोद लिए मरीजों को हर महीने पोषण पोटली उपलब्ध कराई जाएगी तथा उनकी सुख सुविधाओं के साथ सेहत का ख्याल रखेंगी । उन्होने कहा कि संपूर्ण इलाज के बाद टीबी पूरी तरह से ठीक हो जाती है । यह बेहद जरूरी है कि क्षय रोगियों को प्रोटीन, विटामिन युक्त आहार मिलता रहे, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में काफी मदद मिलेगी । इस दौरान अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ अनामिका , डॉ रूचि, डॉ अजय, डॉ अमित सहित क्षयरोग विभाग से जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) राजीव सक्सेना, संदीप, आलोक, कुमार गौरव व अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।