खांदी काटे जाने के बाद सौ बीघा से अधिक फसलें हुईं जलमग्न , कई किसान प्रभावित
-उमर्दा/तिर्वा ब्लॉक के तिर्वा कंसुआ माइनर के ठठिया थाना क्षेत्र खामा के पास तिर्वा से चंदौली रजवाहा में कुलावा काटने के बाद मलगवां और रूरा में बढ़ी संख्या में किसानों की फसलें हुईं बर्बाद
-मौके पर पहुंचे सिंचाई विभाग के जे.ई से प्रभावित ग्रामीणों ने शिकायत कर की कार्यवाही की मांग,नुकसान का मांगा मुआवजा
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ संदीप शर्मा
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।तिर्वा कंसुआ माइनर में खामा गांव के पास तिर्वा चंदौली रजवाहा के निकट कुछ ग्रामीणों द्वारा कुलावा काटे जाने के बाद खांदी काटे जाने से पानी के सैलाब ने आसपास के ग्रामीणों की फसलों को तबाह कर दिया। सबसे अधिक नुकसान मलगवां और रूरा गांव के किसानों को हुआ है।इन गांव के बड़ी संख्या में ग्रामीणों की आलू और गेहूं की फसलें पानी के तेज बहाव में डूब कर बर्बादी की कगार पर पहुंच गई हैं।अपनी बर्बादी का आलम देख मौके पर मौजूद पीड़ित किसान अब दोषियों पर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।इसके अलावा पीड़ित ग्रामीणों ने अपने नुकसान को लेकर मुआवजे की मांग भी की है।बताते चलें कि शनिवार की देर रात और रविवार की सुबह उपरोक्त गांव के ग्रामीण जब अपनी फसलों को देखने पहुंचे, तो हड़कंप मच गया।इन ग्रामीणों की फसलें पानी में डूब कर बर्बाद होती हुई नजर आ रही थीं।मामले की सूचना पर सिंचाई विभाग के जे.ई राजाराम मौके पर पहुंचे।जिसके बाद प्रभावित किसानों की फसलों के नुकसान का आंकलन किया गया।प्रभावित ग्रामीणों ने तीन ग्रामीणों पर आरोप लगाया कि कुलावा काटने के जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाय,इसके अलावा उनकी बर्बाद फसलों का मुआवजा दिया जाय।मलगवां गांव के प्रभावित ग्रामीणों में रामवीर,सौरव कुमार,अजमेर सिंह, बाबूराम, ओमकार सहित अन्य ग्रामीणों के अलावा रूरा गांव के आजम खान, रावेंद्र सिंह, मुन्ना, सलामुद्दीन,रहूफ खान,मुक्ता, आदि प्रभावित ग्रामीणों ने बताया कि सौ बीघा से अधिक फसलें प्रभावित हुई हैं।इन फसलों को कुलावा काटकर प्रभावित करने वाले दोषियों पर कार्यवाही की जाय,और फसलों का मुआवजा दिया जाय।अन्यथा की स्थित में पीड़ित किसान प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।मौके पर पहुंचे विभागीय अधिकारियों ने पीड़ित ग्रामीणों को कार्यवाही का आश्वाशन देते हुये नुकसान का मुआवजा भी दिये जाने की बात कही है।कुछ ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपने निजी संसाधनों से अपनी फसलों में पानी का तेज बहाव रोकने का भी प्रयास किया।इसके अलावा ग्रामीण किसानों का यह भी कहना था, कि जब उनको पानी की जरूरत फसलों की सिंचाई के लिये होती है,तब उनको पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है।ऊपर से अब नुकसान ने उनको बुरी तरह प्रभावित किया है।