नेस्ले इंडिया ने प्रोजेक्ट वृद्धि का किया विस्तार
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | नेस्ले इंडिया ने एसएम सहगल फाउंडेशन के साथ मिलकर प्रोजेक्ट वृद्धि को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लांच किया है। इस प्रोजेक्ट से चतरा तहसील के अईकर, नरोखारा, करमनु, परारी, खुर्द और विराधी गांवों के 6000 से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा। प्रोजेक्ट वृद्धि को 2019 में हरियाणा के नूह जिले में शुरू किया गया था और तब से यह जल संरक्षण, पोषण जागरूकता, शिक्षा और कृषि पद्धतियों के क्षेत्र में 14 गांवों के 18,000 से ज्यादा लोगों के लिए मददगार साबित हुआ है।इस उपलब्धि पर अपनी बात रखते हुए, संजय खजुरिया, डायरेक्टर, कॉर्पोरेट अफेयर्स एवं सस्टेनिबिलिटी, नेस्ले इंडिसा ने कहा, ‘’नेस्ले इंडिया में हमें यह यकीन है कि स्थायी बदलाव लाना जरूरी है, ताकि समुदायों का उत्थान हो और उनकी आजीविका बेहतर हो सके। प्रोजेक्ट वृद्धि ने हरियाणा के गांवों में महत्वपूर्ण बदलाव लाकर उनकी स्थिति को सुधारा है, जिससे उन्हें स्वच्छ जल, पोषण, शिक्षा और कृषि की संवहनीय पद्धतियों तक आसानी से पहुंच मिली। अब हम इस पहल को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में लेकर जा रहे हैं, जहां हमारा फोकस स्थानीय समुदायों को सही संसाधनों और ज्ञान से सशक्त करना है।‘’विस्तार के बारे में बताते हुए, एसएम सहगल फाउंडेशन की ट्रस्टी एवं सीईओ अंजली मखीजा ने कहा, ‘’प्रोजेक्ट वृद्धि का उत्तर प्रदेश के नये क्षेत्रों में फैलना हमारे लिए गर्व की बात है। पिछले पांच वर्षों में इसने हरियाणा के ग्रामीण समुदायों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। हम इस यात्रा को लोगों को सशक्त बनाने और उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए जारी रखेंगे।’’प्रोजेक्ट वृद्धि ने अभी तक कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें 25 मिलियन लीटर की संयुक्त भंडारण क्षमता वाले आठ तालाबों की बहाली, 1000 से अधिक किसानों को कृषि की संवहनीय पद्धतियों से जोड़ना, पढ़ाई का बेहतर वातावरण देने के लिए छह स्कूलों का कायाकल्प, और लगभग 395 बच्चों को डिजिटल और जीवन कौशल से लैस करना शामिल है। इसके अलावा, 280 महिलाओं को पोषण पर प्रशिक्षण मिला है, 133 किचन गार्डन्स स्थापित किये गए हैं और ग्राम विकास समितियों का गठन किया गया है, जो दीर्घकालिक प्रगति को सुनिश्चित करेंगे। अब, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में अपनी उपस्थिति के साथ, नेस्ले इंडिया का उद्देश्य इन प्रभावी पहलों को दोहराते हुए राज्य में संवहनीय (सस्टेनेबल) ग्रामीण विकास को बढ़ावा देना है।
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