कैंसर के मामलों में 57.7% बढ़ोतरी का खतरा
U-तंबाकू की आपूर्ति और मांग को कम करने के साथ साथ होने वाले नुकसान को भी घटाना जरुरी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर |‘वर्ल्ड कैंसर डे’ पर ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी अलायंस (जीएसए) ने कैंसर के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि यह ‘विकसित भारत 2047’ के विजन को प्रभावित कर सकता है। संगठन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक विशेष रणनीति पेश की है और स्वास्थ्य कार्यक्रमों को तुरंत मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (ग्लोबोकैन) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कैंसर के मामलों में 2020 की तुलना में 2040 तक 57.5% की वृद्धि होने की आशंका है, जिससे यह संख्या 2.08 मिलियन तक पहुंच सकती है। पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट और एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. लेंसलोट मार्क पिंटो ने कहा, "भारत में कैंसर का एक प्रमुख कारण तंबाकू का सेवन है। तंबाकू का कोई भी रूप सुरक्षित नहीं है, लेकिन धूम्रपान से कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। जब तंबाकू जलता है, तो इससे विषैले पदार्थ निकलते हैं, जो कैंसर और अन्य बीमारियों का कारण बनते हैं।"तंबाकू के नुकसान को रोकने की आवश्यकता पर चर्चा करते हुए, इंडिया फाउंडेशन प्राइवेट लिमिटेड के पेशंट सेफ्टी एंड एक्सेस पहल के फाउंडर डायरेक्टर डॉ. प्रोफेसर बिजोन मिस्रा ने कहा, "देश में कैंसर के मामलों में वृद्धि चिंताजनक है। दुर्भाग्य से, विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी वैश्विक संस्थाएं इस संकट का समाधान खोजने में सफल नहीं हो पाई हैं। डब्लूएचओ की ग्लोबल ट्रीटी 'फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल ' के अनुसार, तंबाकू की आपूर्ति और मांग को कम करने के साथ-साथ तंबाकू से होने वाले नुकसान को भी घटाना जरूरी है। हालांकि, कई देशों ने इसे पूरी तरह से अपनाया नहीं, जिससे तंबाकू की खपत कम करने के लक्ष्य पूरे नहीं हो पाए। स्वस्थ आबादी ही भारत के 'विकसित भारत 2047' विजन की नींव है, लेकिन जब तक तंबाकू नियंत्रण की रणनीतियां स्थानीय स्तर पर सही तरीके से लागू नहीं होतीं, कैंसर के मामले बढ़ते रहेंगे।"