मोहर्रम की 2 तारीख को निकले बदर अली के अलम या हुसैन के लगे नारे
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर, इस्लामिक मोहर्रम की 2 तारीख 1447 हिजरी कानपुर से बदर अली के अलम हर साल की तरह इस साल भी बड़े ही अदब और एहतराम के साथ बकरा मंडी स्थित सूफी साहब की मजार से अलम को हाजी उस्मान की अध्यक्षता में क्षेत्रीय पार्षद इशरत अली पार्षद नौशाद के नेतृत्व में निकला गया। हाजी उस्मान ने बताया कि तकरीबन 230 वर्षों से यानी कि ब्रिटिश हुकूमत से बदर अली की ताजिया अलम निकल रहे हैं ब्रिटिश हुकूमत से अब तक कई पीढियां बदल गई लेकिन बदर अली के ताजदारी अलम में कहीं से कोई कमी नहीं हुई जुलूस की भीड़ बढ़ती जा रही है अकीदत मंद लोग आज भी बड़े ही अदब और एहराम के शामिल होते हैं आगे बताया कि बदर अली के वालिद जिनका नाम इमाम था वह एक छोटी सी ताजिया मोहर्रम की 1 तारीख से लेकर 10 तारीख तक रखते थे तकरीबन 16 साल तक ताजेदारी करते रहे एक दिन अचानक क्या हुआ बदर अली बिना बताए इमाम हुसैन की दरगाह कर्बला ईराक पहुंच गए जहां पर दरगाह की दो मिनारो पर नजर गई एक मीनार के नीचे बदर अली बैठ गए उनको बशारत हुई माज़ार की मीनार की ऊंचाई के बराबर एक ताजिया बनाया और ताजेदारी शुरू हुई इसके बाद बदर अली के बाद दामाद हजरत अली बेटी मुन्नी बाजी मुन्नी बाजी के इंतकाल के बाद यह जिम्मेदारी मुन्नी बाजी के भाई हाजी उस्मान को मिली जो लगातार बदर अली के नाम पर 2 मोहर्रम को आलम निकलते हैं ब्रिटिश हुकूमत से लेकर अब तक सिलसिला चलता चला रहा है। बकरा मंडी सूफी साहब की दरगाह से चूड़ी महल छिपयाना नीली पोश रोड महल बेगमगंज नाला रोड हलीम कली चौराहा रूपम चौराहा दिखाना बाग बक्र मंडी कुली बाजार लाटूश रोड रोटी वाली गली नई सड़क बूचड़खाना दादा मियां चौराहा मीना इलेक्ट्रॉनिक कासतानान रोड से समापन हुआ।
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