हृदय स्वास्थ्य और दिमागी क्षमता के बीच छिपे संबंध पर डाला प्रकाश
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर I हाल ही में हुई कुछ वैज्ञानिक रिसर्च इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि हृदय (दिल) की सेहत और दिमागी कार्यक्षमता के बीच गहरा संबंध है। जो चीज़ें दिल के लिए फायदेमंद हैं, वही दिमाग के लिए भी उतनी ही ज़रूरी होती हैं। अब तक हृदय बीमारियों को आमतौर पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे जोखिमों से जोड़ा जाता था, लेकिन हालिया रिसर्च से यह पता चल रहा है कि हृदय की खराब सेहत सीधे तौर पर याददाश्त, निर्णय लेने की क्षमता और अन्य दिमागी कार्यक्षमता को भी प्रभावित कर सकती है।
रिसर्च से जो अहम जानकारी मिली है उनमें से एक यह है कि दिल और दिमाग दोनों एक जैसे जोखिम फैक्टर्स के प्रति संवेदनशील होते हैं, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, धूम्रपान, हाई कोलेस्ट्रॉल और सूजन आदि दिल यानी हृदय और दिमाग दोनों को प्रभावित करता है। ये सभी बीमारियां दिल और दिमाग दोनों की ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज ) और इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है।
रीजेंसी हेल्थ कानपुर के सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) एमसीएच, डॉ. शशांक त्रिपाठी ने बताया, “अक्सर हम दिल और दिमाग की बीमारियों को अलग-अलग समस्याएं मानते हैं, लेकिन हकीकत में ये दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। एक स्वस्थ कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम दिमाग तक उचित मात्रा में खून, ऑक्सीजन और ज़रूरी पोषक तत्व पहुंचाती है, जिससे वह सही ढंग से काम कर पाता है। इसीलिए हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना सिर्फ हार्ट अटैक से बचाव के लिए नहीं, बल्कि याददाश्त, मानसिक तेज़ी और लॉन्गटर्म दिमागी सेहत की रक्षा के लिए भी बेहद जरूरी होता है।”इन रिसर्चों से एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह निकला है कि हृदय की आर्टरीज में ब्लॉकेज और ब्रेन स्ट्रोक होने की संभावना के बीच सीधा संबंध होता है। जब कोलेस्ट्रॉल जमाव के कारण हृदय की आर्टरीज पतली या बंद हो जाती हैं, तो यह न सिर्फ दिल पर दबाव डालता है, बल्कि दिमाग तक खून के प्रवाह को भी प्रभावित करता है।