खानकाह मे परचम ए पंजतन पाक किया गुलजार
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | मोहर्रम की सात तारीख को हर साल की तरह इस साल भी खानकाहे हुसैनी हज़रत ख्वाजा सैय्यद दाता हसन सालार (रह०अलै०) की दरगाह कर्नलगंज, ऊँची सड़क में पंजतन पाक को केवड़ा इत्र गुलपोशी पेश कर सलातो सलाम दुआ के बाद लब्बैक लब्बैक या हुसैन हक हुसैन मौला हुसैन की सदाओं के साथ परचम ए पंजतन पाक गुलजार किया गया।पंजतन पाक की गुलपोशी के बाद खानकाहे हुसैनी के खादिम अफज़ाल अहमद चिश्ती परचम ए पंजतन पाक को खानकाह के बाहर लेकर आये इमाम हुसैन के अकीदतमंदों ने परचम ए पंजतन पाक पर गुलपोशी, इत्र, केवड़ा, पेशकर हक हुसैन, मौला हुसैन, नारे हैदरी ,या अली, या अली, लब्बैक,लब्बैक, या हुसैन, या हुसैन,के नारों की सदा बुलंद की सदाओं से खानकाह गूँज गयी। प्रोग्राम की शुरुआत तिलावते कुरानपाक से हाफिज़ मोहम्मद अरशद ने की उसके बाद नात व मनकबत हुई जिसमें यज़ीद कांप उठा सुन के खुतबा ए जैनब, अली की बेटी में सारा असर हुसैन का है, शहीद होके भी करता रहा तिलावत जो, कसम खुदा की अकेला वो सर हुसैन का है, ऐजाज़ ए मुस्तफा में शरीअत खड़ी रही, दरवाज़ा ए बुतूल पे रहमत खड़ी रही, पुश्ते नबी पे सजदे में आकर बैठे हुसैन, बैठे रहे हुसैन इबादत खड़ी रही, हर जमाना मेरे हुसैन का है, दिल ठिकाना मेरे हुसैन का है, जिसकी खातिर कायनात बनी वो तो नाना मेरे हुसैन का है, एक आमना का लाल,एक फातिमा का लाल, नाना भी बेमिसाल,नवासा भी बेमिसालखादिम खानकाहे हुसैनी इखलाक अहमद डेविड चिश्ती ने कहा हिन्द के राजा मेरे ख्वाजा ने फ़रमाया शाह भी हुसैन है बादशाह भी हुसैन है दीन भी हुसैन है दीन को पनाह देने वाले भी हुसैन है सर दे दिया मगर नहीं दिया हाथ य़जीद के हाथ में सच तो यह है ला इलाहा इल्लल्लाह की बुनियाद हुसैन है इमाम हुसैन ने दुनियां में मानवता, सदभाव, प्रेम, भाईचारा, अहिंसा, अन्याय व जुल्म के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने का संदेश दिया। दुआ में अल्लाह से अपने हबीब, अहेले बैत हसनैन करीमैन 72 शहीदों गौस ख्वाजा के सदके में हमारे मुल्क सूबे शहर में अमनों अमन कायम व खुशहाली तरक्की देने, गुनाहों की माफी, दहशतगर्द का खात्मा करने, फिरकापरस्त ताकतों को नेस्तनाबूद करने कुदरती कहर से बचाने वहसी हरकत करने वालो को नेस्तनाबूद करने की दुआ की सलातो सलाम पेशकर परचम ए पंजतन पाक खानकाहे हुसैनी मे गुलज़ार किया गया। खानकाहे हुसैनी मे इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, हाफिज़ मोहम्मद अरशद वास्ती, जमालुद्दीन फारुकी, मोहम्मद तौफीक वारसी, हाफिज़ मोहम्मदी असद, परवेज़ आलम वारसी, कासिम अली, मोहम्मद शाहिद चिश्ती, हाजी गौस रब्बानी, मोहम्मद आलम, मोहम्मद जावेद कादरी, मुजम्मिल हुसैन, अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।
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