वैज्ञानिक विधि से करें पिछेती अरहर की खेती, होगा अधिक लाभ
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | सीएसए के कुलपति डॉक्टर आनंद कुमार सिंह की ओर से वैज्ञानिकों को जारी निर्देश के क्रम में विश्वविद्यालय के दलहन वैज्ञानिक डॉ अखिलेश मिश्रा ने देर से अरहर की वैज्ञानिक खेती करें किसान,होगा अधिक लाभ विषय पर एडवाइजरी जारी की है। डॉक्टर मिश्रा ने बताया कि अरहर हमारे देश की प्रमुख दलहनी फसलों है। डॉ मिश्रा ने बताया कि दलहन उत्पादन के साथ-साथ 150 से 200 किलोग्राम वायुमंडलीय नाइट्रोजन मृदा में स्थिरीकरण कर देता है जिससे मृदा की उर्वरता में वृद्धि होती है। उन्होंने बताया कि अरहर की बुवाई का उत्तम समय मध्य जुलाई तक है। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि अरहर की उन्नतशील प्रजातियां जैसे नरेंद्र अरहर 1,नरेंद्र अरहर 2, आजाद अरहर, मालवीय एवं आईपीए 203 प्रमुख हैं। उन्होंने कहा अरहर के लिए दोमट एवं भारी मृदाएं सर्वोत्तम होती हैं। उन्होंने कहा अरहर के लिए 12 से 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। तथा बुवाई के पूर्व किसान भाई जैव उर्वरक जैसे राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के बाद बुवाई करें।जिससे कि नत्रजन अधिक मात्रा में स्तरीकरण होता है तथा उत्पादन में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि बुआई के पूर्व 20 किलोग्राम नाइट्रोजन,50 किलोग्राम फास्फोरस, 20 किलोग्राम पोटाश तथा 20 किलोग्राम सल्फर देना सर्वोत्तम होता है।
|