इंट्रा ऑपरेटिव रेडियोथेरेपी करके कैंसर इलाज़ में स्थापित किया नया स्टैंडर्ड
U- सफल इलाज के जरिए क्षेत्र में ऑन्कोलॉजी के नए दौर की शुरुआत की
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | पारस हेल्थ कानपुर ने कैंसर इलाज में बड़ी सफलता पाई है। हॉस्पिटल ने इंट्रा ऑपरेटिव रेडियोथेरेपी का इस्तेमाल कर एक दुर्लभ रेट्रोपेरिटोनियल सार्कोमा का सफल इलाज किया। इस उपलब्धि की जानकारी हॉस्पिटल में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी गई। इसे शहर में एडवांस्ड कैंसर इलाज की नई शुरुआत माना जा रहा है।मरीज बिटानी देवी को पेट में एक गंभीर ट्यूमर था। यह ट्यूमर ज़रूरी अंगों के पास होने के कारण बहुत ख़तरनाक था। इसके इलाज के लिए एक्सपर्ट सर्जरी और सटीक रेडिएशन थेरेपी को मिलाकर मल्टी-डिसिप्लिनरी टीम ने काम किया। डॉ. सत्यम श्रीवास्तव, एसोसिएट डायरेक्टर (यूरोलॉजी) ने बताया, “इस केस की सबसे बड़ी मुश्किल ट्यूमर की जगह थी, क्योंकि यह ट्यूमर ज़रूरी खून की नसों और अंगों के बीच था। चुनौती सिर्फ ट्यूमर निकालने की नहीं थी, बल्कि इसे ऐसे निकालना था कि ज़रूरी अंगों को कोई नुकसान न हो। सर्जरी में कई घंटे लगे और ऑपरेशन थिएटर में ऑन्कोलॉजी टीम के साथ लगातार तालमेल रखना पड़ा। डॉक्टर के अनुसार यही मजबूत टीमवर्क इस सफलता की असली वजह बना।”डॉ. कुश पाठक, सीनियर कंसल्टेंट (सर्जिकल ऑन्कोलॉजी) ने कहा, “रेट्रोपेरिटोनियल सार्कोमा अक्सर दोबारा हो जाता है, इसलिए केवल सर्जरी से यह ठीक नहीं होता है। इस केस में सर्जरी के साथ इंट्रा ऑपरेटिव रेडियोथेरेपी करके ऑपरेशन के दौरान ही ट्यूमर वाली जगह को सीधा और सटीक तरीके से इलाज़ कर पाए। इस तरह का इलाज मरीजों के लिए ज्यादा असरदार होता है, क्योंकि इससे न सिर्फ ट्यूमर निकलता है, बल्कि उसके दुबारा होने का खतरा भी कम हो जाता है।”भारत और दुनिया भर में सॉफ्ट टिश्यू सार्कोमा होना बहुत ही दुर्लभ हैं और यह सभी वयस्क कैंसर के सिर्फ 1 से 2% मामले ही ऐसे होते हैं। इनमें से रेट्रोपेरिटोनियल सार्कोमा लगभग 12 से 15% सॉफ्ट टिश्यू सार्कोमा और करीब 0.15% सभी कैंसर में होता है। ये ट्यूमर शरीर के अंदर गहराई में होते हैं, इसलिए अक्सर देर से पता चलते हैं और सिर्फ सर्जरी से इन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है।