जशन ईद मिलादुन्नबी खानकाहे हुसैनी में मनाया गया
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | खानकाहे हुसैनी में हर वर्ष तरह इस वर्ष भी हज़रत सैय्यद ख्वाजा दाता हसन सालार शाह रहमतुल्लाह अलैहे कर्नलगंज में हज़रत मोहम्मद मुस्तफा के 1500वां यौम ए विलादत के मौके पर जशन ईद मिलदुन्नबी का आयोजन किया गया। जशने ईद मिलादुन्नबी जलसा का आगाज़ हाफिज़ मोहम्मद असद ने तिलवाते कुरानपाक से की। हुज़ूर की शान में शायरों ने नात व मनकबत फैज़ान अहमद कादरी ने दुनियां के किसी शौबे में नाकाम नही हूं सरकार का नौकर हूं कोई आम नही हूं, सखा बनकर वफा बनकर अता बनकर खुदा का नूर उतरा आसमां से मुस्तफा बनकर, कारी मोहम्मद हसीब ने फना कैसी बक़ा कैसी जब उसके आशना ठहरे कभी इस घर में जा बैठे कभी उस घर में जा बैठे मोहम्मद मुस्तफा से हज़रत ए युसूफ को क्या निस्बत वो मतलूबे जुलेख़ा थे वो महबूबे खुदा ठहरे। जलसा ईद मिलदुन्नबी को खिताब करते हुए उलेमा ए कराम ने कहा जब महिलाओं बेटियों पर ज़ुल्म हो रहा था अरब में बेटी के पैदा होने पर उसकी हत्या कर दी जाती थी भारत में विधवाओं को पुरुष की चिता के साथ जला दिया जाता था यूरोप में महिलाओं पर ज़ुल्म होता था तब हज़रत मोहम्मद मुस्तफा के पैगामों ने समाज में बदलाव लाया बेटियों महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण बदला। खादिम खानकाहे हुसैनी ने खिताब करते हुए कहा हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सिर्फ मुसलमानों के नहीं पूरी दुनियां के लिए अल्लाह ने रहमत बनाकर भेजा सभी मनुष्यों के प्रति प्रेम, भाईचारा, दया, सामान्यता और न्याय के सिद्धांतों की शिक्षा दी। दूसरे मज़हब के मानने वालों के प्रति सहिष्णुता और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का पैगाम दिया। लोगों को एक-दूसरे के प्रति दयालु होने, जरुरतमंदों की मदद करने दूसरे के दुःखों को समझने, किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति से कोई कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए ऐसा करने वाले को कठोर दंड का भागीदार होने का पैगाम दिया। आज हम कुरान हदीस की शिक्षा से दूर होकर बुराईयों के नज़दीक होते जा रहे हैं पैगम्बर ए इस्लाम के बताए मार्ग पर चलकर ही हम दुनियां और आखिरत में कामयाब हो सकते हैं। खिताब के बाद सलातों सलाम पेशकर दुआ हुई जिसमें अल्लाह से 1500वां यौम ए विलादत हज़रत मोहम्मद मुस्तफा के सदके हमारे मुल्क में सुख शांति कायम रहने मुल्क की तरक्की खुशहाली होने, हम सबको नमाज़ का पाबंद बनाने की दुआ हुई जलसे में मौजूद सभी ने आमीन आमीन कहा। जलसे के बाद सभी ने लंगरे मुस्तफा खाया।जलसे ईद मिलदुन्नबी में खादिम खानकाहे हुसैनी इखलाक अहमद डेविड चिश्ती, सूफी मोहम्मद हारुन तौस्वीं, अबुल हाशिम कश्फी, हाफिज़ मोहम्मद असद, मुनीर खान कादरी, मोईनउद्दीन चिश्ती, सैय्यद मोहम्मद इमरान, मोहम्मद फैज़ान अज़हरी, कारी मोहम्मद हसीब, जुबैर सकलैनी, मोहम्मद अनवार नियाज़ी, शारिक वारसी, इशरत अली, सैय्यद तलहा कादरी, जमालुद्दीन फारूकी, ज़मीर खान कादरी, हाजी गौस रब्बानी, अबरार वारसी, हाजी मोहम्मद वसीक, एजाज़ रशीद, मोहम्मद रज़ा खान, अयाज़ अहमद चिश्ती, परवेज़ आलम वारसी, मोहम्मद वसीम, मोहम्मद जावेद कादरी, मोहम्मद इस्लाम, अफज़ाल अहमद आदि लोग मौजूद थे।
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