शंकराचार्य जी के सान्निध्य पूर्णिमा महोत्सव के अंतर्गत आयोजित हुआ गौ कवि सम्मेलन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस वाराणसी।परमाराध्य परमधर्माधिश ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में काशी के केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में पूर्णिमा महोत्सव के प्रथम दिवस आज सायंकाल राष्ट्रीय कवि दमदार बनारसी के अध्यक्षता में आयोजित गौ कवि सम्मेलन के अंतर्गत विख्यात कवियों ने गौमाता के दुर्दशा एवं समसामयिक विषयों पर रचना प्रस्तुत कर उपस्थित जन समुदाय को करतल ध्वनि पर सराहना करने हेतु विवश कर दिया।
कवि सम्मेलन में अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कवि दमदार बनारसी के द्वारा ~
गाय सनातनियों की आस्था का है प्रतीक,
माता के सामान है ये सबको बताया जाय।
राष्ट्र पशु का मिलेगा मान तभी रक्षा होगी
चलो सब मिल निज धर्म को बचाया जाय।
हाथ जोड़ कर सरकार से निवेदन है,
इसके खिलाफ़ कोई संविधान लाया जाय।
जो भी दुराचारी गाय काटते गो मांस खाते,
उन सभी विधर्मियों को फांसी लटकाया जाय।।
यह रचना प्रस्तुत करने पर उपस्थित लोगों ने जोरदार ताली बजाकर गौमाता राष्ट्रमाता का उद्घोष किया।
विख्यात कवि बिहारी लाल अम्बर ने~
वो मुझको यूज करती है इंटरनेट की तरह।
नजरों से गिराती है मुझे रेट की तरह।।
कवि धर्मप्रकाश मिश्र ने~
कौन कहता है गिद्ध भारत से लुप्त हुए,
पेड़ों के बजाय कुर्सियों पे पाये जाते हैं।
आफिसों में बैठ कर कोई व्यूह रच रहा,
गांव का प्रधान कहीं योजना पचाते हैं।
जन गण मन पर भी ये चोंच मार रहे,
भारत महान पर कालिख लगाते हैं।
त्रेता वाला गिद्ध सीता माता हेतु जान दिया,
कलयुग के गिद्ध सिताओं को नोच खाते हैं।
अपनी यह रचना प्रस्तुत की।
कवि बादशाह प्रेमी ने~
देश पड़ा हो संकट में, जब दुश्मन लगें मचलने तो, गुण्डे चोर माफिया अपना चोला लगें बदलने तो .
अपनी यह रचना प्रस्तुत कर वाहवाही समेटी।
कवि सम्मेलन में कवयित्री विजय लक्ष्मी शुक्ला ने~
उपनिषद का ज्ञान हो तुम
या वेद की ऋचाएं।
तुम मिले पुलकित हुई हैं
सृष्टि की सारी दिशाएं।
देख अभिधा मौन है कि
रूप वर्णन करे क्या।
लक्षण बहरी हुई है
और गूंजी व्यंजनाएं।।
सुनाकर उपस्थित लोगों से प्रशंसा प्राप्त की।
कवि सम्मेलन के अंत में शंकराचार्य जी महाराज ने कवियों को आशीर्वाद सहित उपहार व प्रसाद प्रदान किया।
उक्त जानकारी देते हुए शंकराचार्य जी महाराज के मीडिया प्रभारी संजय पाण्डेय ने बताया कि कवि सम्मेलन के पश्चात शंकराचार्य जी महाराज ने उपस्थित भक्तों को आशीर्वचन प्रदान करते हुए कहा कि वर्तमान में हमारा एकमात्र लक्ष्य गौमाता के प्राणों की रक्षा करना है क्योंकि अगर गौमाता न रहीं तो धरती पर रहने वाले सम्मत जीव ही नही यह धरती भी नष्ट हो जाएगी।भारत में राजनीति हमारे गौमाता को कटवा रही है। इसलिए राजनीति का शुद्धिकरण अब नितांत आवश्यक हो गया है।
कवि सम्मेलन के दौरान प्रमुख रूप से साध्वी पूर्णांबा दीदी,ब्रम्हचारी परमात्मानंद,हजारी कीर्ति शुक्ला,स्वामी निधिरव्यानंद सागर,रवि त्रिवेदी,यतीन्द्र चतुर्वेदी,रमेश उपाध्याय,सुनील शुक्ला,सतीश अग्रहरि आदि लोगों सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।