जनसहभागिता और जागरूकता अभियान ही एचआईवी/ एड्स नियंत्रण की सबसे मजबूत कड़ी
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर |“विश्व एड्स दिवस पर आईएमए कानपुर शाखा द्वारा सेमिनार हॉल, टेंपल ऑफ सर्विस, आईएमए भवन, परेड, में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ. अनुराग मेहरोत्रा , सचिव डॉ. शालिनी मोहन , डॉ. ए. सी. अग्रवाल, चेयरमैन, साइंटिफिक सब कमेटी, डॉ. प्रीति आहूजा, उपाध्यक्ष, डॉ. विशाल सिंह, वित्त सचिव, डॉ. दीपक श्रीवास्तव, साइंटिफिक सचिव, तथा डॉ. कुश पाठक, संयुक्त साइंटिफिक सचिव, आईएमए कानपुर ने संयुक्त रूप से संबोधित किया।आईएमए कानपुर के अध्यक्ष डॉ अनुराग मेहरोत्रा ने आए हुए सभी पत्रकार बंधुओ का स्वागत करते हुए इस बीमारी की गंभीरता के विषय में बताया कि इस वर्ष (विश्व एड्स दिवस) -2025 की आधिकारिक थीम है (बाधाओं पर काबू पाना, एड्स-प्रतिक्रिया को बदलना). एड्स जागरूकता, समय पर जांच, सुरक्षित व्यवहार, उपचार की निरंतरता तथा समाज में फैली भ्रांतियों को दूर करना ही विश्व एड्स दिवस का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि जनसहभागिता और जागरूकता अभियान ही एचआईवी/एड्स नियंत्रण की सबसे मजबूत कड़ी हैं आईएमए कानपुर सचिव डॉ. शालिनी मोहन ने कहा कि विश्व एड्स दिवस का मुख्य उद्देश्य समाज में एड्स से जुड़े भय और भ्रम को दूर कर जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि आज भी कई लोग समय पर जांच नहीं कराते, जिससे रोग नियंत्रण में देरी होती है। एचआईवी/एड्स एक प्रबंधनीय रोग है, बशर्ते उपचार समय पर शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि नियमित दवाओं और परामर्श से संक्रमित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। डॉ. ए. सी. अग्रवाल चेयरमैन, साइंटिफिक सब कमेटी ने बताया कि रोकथाम ही एड्स नियंत्रण की सबसे प्रभावी रणनीति है। सुरक्षित व्यवहार, ब्लड स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान इसकी मुख्य कड़ियाँ हैं। यह भी बताया कि एच.आई.वी. के फैलने के मुख्य कारणों में एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना, संक्रमित सुई या सिरिंज का उपयोग करना, संक्रमित रक्त या रक्त अवयव चढ़ाना तथा एच.आई.वी. संक्रमित गर्भवती मां से शिशु में संक्रमण का प्रसार शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने एच.आई.वी. से बचाव के महत्वपूर्ण उपायों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें संयम, वफादारी और कंडोम का नियमित उपयोग, हमेशा नई व स्वच्छ सुई-सिरिंज का प्रयोग, केवल लाइसेंसधारक ब्लड बैंक से जांचे-परखे रक्त का उपयोग, तथा गर्भवती महिलाओं की समय पर एच.आई.वी. जांच करवाने एवं संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करने जैसे कदम शामिल हैं।डॉ. प्रीति आहूजा उपाध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं और युवाओं में जागरूकता बढ़ाना विशेष रूप से आवश्यक है, क्योंकि जानकारी की कमी कई बार संक्रमण को अनजाने में आगे बढ़ा देती है।
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