कबूतर पक्षी फैलाते है कि संक्रमित बीमारियां,हो जाएं होशियार
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | कबूतर जहां-जहां जाता है वहां-वहां दूसरे सभी पक्षियों को खत्म कर देता है। पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त कर देता है। इकोसिस्टम में कबूतर का शिकार करने वाले पक्षी जैसे बाज और चील बहुत कम हो चुके हैं या ना के बराबर हो गए हैं तो कबूतर अपनी संख्या खूब ज्यादा बढ़ा रहे हैं।
कबूतरों से कई बीमारियां फैल सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं: हिस्टोप्लाज्मोसिस, क्रिप्टोकोकोसिस, सिटाकोसिस और हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस। ये बीमारियां कबूतरों की बीट, पंख और धूल के माध्यम से फैल सकती है। वैसे भी कबूतर भारतीय मूल का पक्षी नहीं है, यह अफ्रीका महाद्वीप से भारत में आया और भारत पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया और दूसरे सभी पक्षियों को विलुप्त कर दिया। जो जैन समुदाय मुंबई में कबूतरों को दाना डालने के लिए वर्षों से आंदोलनरत है उस जैन समुदाय को समझना चाहिए कि कबूतर बढ़ाने से जरूरी है कोयल, गौरैया, मैना, बुलबुल, तोता, कीलहट, टिटिहरी जैसे हजारों भारतीय मूल के पक्षी जो कि शहरों-कस्बों से विलुप्त होते जा रहे हैं उन्हें बचाना ज्यादा जरूरी है। और वह तभी बच सकते हैं जब कबूतरों की संख्या कम की जाए |