जो प्रभु का वंदन करता है उसका बंधन खुल जाता है:सुरेश चंद्र शास्त्री
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।कृष्णा नगर गैस एजेंसी रोड पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के तीसरे दिन वृंदावन से पधारे आचार्य सुरेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि जो प्रभु का वंदन करता है उसका बंधन खुल जाता है।कानों से भगवान की कथा का श्रवण करें और शरीर से समाज की सेवा करो।शरीर सेवा करने के लिए मिला है। यही जीवन का सूत्र है। जो संसार के काम को सेवा के रूप में करता है तो उसे बोझा नहीं लगता और शांति मिलती हैं। धुंधकारी की कथा सुनाते हुये आचार्य ने कहा कि धुंधकारी जैसा बेटा किसी को न दे।संतान संस्कारी होनी चाहिए।जब धुंधकारी प्रेत योनि में चला गया तो गोकरन ने भागवत कथा कराई तब धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिली।जो सभी के हित की बात करता है वह गृहस्थ में रहते हुए संत है।भागवत कथा सात गांठ वाला बांस है।पहले दिन एक गांठ टूटती है और धीरे धीरे सभी गांठ टूट जाती है।आचार्य ने वामन भगवान की कथा श्रवण कराई और कहा कि कलयुग में दान की महिमा बहुत है।इसलिए सदा दान करते रहना चाहिए।कथा के दौरान महादेवी घाट के वयोवृद्ध दंडी स्वामी प्रकाशानंद ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि हमारी संस्कृति अकड़ना नहीं सिखाती इसीलिए पहले घर के मुख्य दरवाजे छोटे होते थे ताकि लोग झुककर भीतर जायें। हमेशा बड़ों के सामने झुककर रहो।अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेना कभी मत भूलना। पता नही कब काम आ जाये। स्वामी जी ने कहा कि एक बार हृदय से ठाकुर जी को प्रणाम जरूर कर लिया करो।कथा के दौरान व्यवस्थापक श्याम सुंदर पाठक, संगीत सहयोगी मोहन स्वरूप, तबला वादक जूली शर्मा, पैड वादक विष्णु कुमार ने वातावरण को संगीतमय बनाये रखा। मंच का संचालन दीपक पाठक ने किया।आचार्य के रूप में राम नरेश शास्त्री व पवन कुमार दुबे विराजमान रहे।परीक्षित प्रभुदयाल ने आरती की और आचार्य का स्वागत किया।