युग परिवर्तन के लिए पेड़ पहाड़ नहीं बल्कि मानव के ह्रदय को बदलने की जरुरत |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | प्रख्यात आध्यात्मिक एवं समाजसेवी संस्था मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा गौरी चैरिटेबल धर्मशाला विश्व बैंक बर्रा में विभिन्न वर्ग जाति धर्म तथा संप्रदाय से आए हुए श्रोताओं की भीड़ को संबोधित करते हुए साध्वी सुश्रेष्ठा बाई मधुलता बाई ने अपने विचार रखे अंत में सतपाल महाराज की परम शिष्या साध्वी पार्वती बाई अपने सत्संग विचार में कहा कि रामचरितमानस में भगवान श्रीराम समझाते हुए कहते हैं कि निर्मल मन जन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा अथार्थ जिस मानव का मन निर्मल है वही मुझे प्राप्त कर पाता है मुझे कपट छल छिद्र आदि मुझे नहीं सुहाते हैं जब तक मनुष्य के मन में अनेक प्रकार के विकार अशुभ विचार तथा खराब संस्कारों की मौजूदगी रहेगी तब तक मानव का मन प्रभु भक्ति में नहीं लगेगा परमात्मा की प्राप्ति तभी संभव है जब वह प्रभु भक्ति के मार्ग को तत्वदर्शी सतगुरु के द्वारा जानकर उनके बताए मार्ग पर चलकर अपने मन को निर्मल करें आगे बाई ने कहा कि युग परिवर्तन के लिए पेड़, पहाड़, धरती, हवा और आसमान को बदलने की नहीं, बल्कि मानव के हृदय को बदलने की आवश्यकता है आगे कि कहा सावन में शिव तत्व को जानना ही भक्ति है अन्य कुछ नहीं कार्यक्रम में मुख्य रूप से शैलेंद्र पाल श्री राम अग्रवाल यतेंद्र यादव राम प्रकाश गुप्ता कवि लाश शर्मा आशीष तिवारी राजेंद्र वर्मा माया दीक्षित सुमन यादव विद्या तिवारी गीता अग्रवाल केश कली अभिषेक दिक्षित शैलेंद्र सेंगर आदि |
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