हम रहे या न रहे यह देश रहना चाहिए गीत पर हुआ बोलो के स्थान पर सरगम का प्रयोग।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। इस वर्ष हमको गुलामी से आज़ाद हुए 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। स्वाधीनता की इस अविस्मरणीय यात्रा एवं आज़ादी की बलिवेदी पर जिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों, वीर सपूतों, वीरांगनाओ ने अपने जीवन का बलिदान देकर हम भारतवासियो को परतंत्रता की बेड़ियों से स्वतंत्र कराया।
इसी परिपेक्ष्य में शुक्रवार को विवि प्रेक्षागृह में जिला प्रशासन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिसमें देशभक्ति पर आधारित कथक नृत्य कार्यक्रम सारे जहाँ से अच्छा मौलिक अंदाज में किया गया। सावन माह के आराध्य देव भगवान् शिव की स्तुति शिवोहम की गयी। इसके उपरांत सारे जहाँ से अच्छा देश भक्ति गीत को कथक के भाव-अभिनय के साथ बड़े हे सुरचिपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति के अगले चरण में आजादी दिलाने वाले अमर वीर सपूतो, शूरवीरों ओर स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित हम रहे या न रहे यह देश रहना चाहिए, गीत की प्रचलित शैली सरगम जिसमें कथक के बोलो के स्थान पर सरगम का प्रयोग किया गया। अंतिम चरण में आजादी के लिए शहीद हुए वीरो को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए जननी जन्म भूमिश्च द्वारा भारत माता को नमन किया गया। कार्यक्रम की प्रस्तुति विकास पाण्डेय, हुमा साहू, उपासना श्रीवास्तव, विकास अवस्थी, हिमानी सिंह, अत्रांशी सिंह, खुशी सिंह, ज्योती वर्मा, देवी संदीपदेश पाण्डेय, जान्हवी तिवारी, रिदम श्रीवास्तव द्वारा की गयी तथा परिकल्पना, अवधारणा एंव मार्गदर्शन सरिता श्रीवास्तव राष्ट्रीय कथक संस्थान संस्कृति विभाग ने की।
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