विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली व गंगा की महाआरती इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 7 नवम्बर 2022 को मनेगी।
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस वाराणसी ज्योतिषविदों, काशी विद्वत परिषद के परामर्श के उपरान्त केन्द्रीय देव दीपावली महासमिति, गंगा सेवा निधि, गंगोत्री सेवा समिति, जय न गंगा सेवा समिति सहित अन्य समितियों ने तैयारियां शुरू की।
विश्व प्रसिद्ध देव दीपावली व गंगा महाआरती महोत्सव इस वर्ष 7 नवम्बर 2022 को उत्साह के साथ मनायी जायेगी। उस दिन कार्तिक पूर्णिमा के पावन दिवस का श्री गणेश अपरान्ह 3:54 बजे से हो रहा है. जो अगले दिन 8 नवम्बर, मंगलवार को अपरान्ह 3.53 बजे तक है। उस दिन वैकुण्ठ चर्तुदशी का पर्व है उसी दिन ज्ञानवापी स्थित मंदिर में महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने वर्ष 1734 में बाबा विश्वनाथ की स्थापना की थी। प्रभु कृपा से उस दिन सोमवार का दिन भी है। अगले दिन 8 नवम्बर, मंगलवार को चन्द्रग्रहण है, उस काल में भोग आरती आदि सम्भव नही है। अतः 7 नवम्बर को देव दीपावली व गंगा आरती महोत्सव मनाना शास्त्रोक्त है।उपरोक्त निर्णय काशी के चाचार्यों, संत-महात्मा ज्योविषविदों, काशी विद्वत परिषद व अन्य विशिष्टजनों से विचार-विमर्श के बाद लिया गया है। यह जानकारी केन्द्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त मिश्र, गंगा सेवा निधि के मुख्य संरक्षक श्री श्याम लाल सिंह, अध्यक्ष श्री सुशांत मिश्र, गंगोत्री सेवा समिति के सचिव 40 दिनेश शंकर दुबे, जय मां गंगा सेवा समिति के श्री श्रवण कुमार मिश्र ने संयुक्त रुप से आज सायं पत्र- प्रतिनिधियों से बात-चीत में दी है।
आचार्य वागीश दत्त मिश्र ने बताया कि चन्द्रग्रहण के दिन हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालुजन माँ गंगा में गोता लगाते हैं। सुबह से अगले दिन तक हजारों लोग मी गंगा के तट पर ही रहते है। उस दिन सूतक काल प्रातः 8:10 बजे से प्रारम्भ हो रहा है एवं इसका मोक्ष सायं 6:19 बजे हो रहा है, उसके बाद भी स्नान, ध्यान द दान होता रहता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु घाट पर ही आश्रय लेते है। शास्त्रानुसार ग्रहण काल में न तो आरती कर सकते है और ना ही भोग लगा सकते हैं।
उन्होनें बताया है कि श्रद्धालुजनों की सुरक्षा हम सब के लिए सर्वोपरी है, जितना जरूरी देव दीपावली को उत्साह से मनाना है, उससे जरुरी इस महोत्सव व चन्द्रग्रहण में शामिल होने वाले भारतवासियों व विदेशी मेहमानों की सुरक्षा है। इसलिए बाबा विश्वनाथ व माँ गंगा की असीम अनुकम्पा से यह मूहूत मिला है, ताकि संसार के प्रत्येक मानव की मंशा पूर्ण हो सके। प्रभु की कृपा से कार्तिक पूर्णिमा व चन्द्रग्रहण के मुहूत का दिन अलग अलग होने से श्रद्धालुजनों की सुरक्षा के लिए सेवा समितियों व प्रशासन को किसी तरह की कोई असुविधा नही होगी।
उल्लेखनिय है कि कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाने के लिए पूर्व से ही 7 किलोमीटर से लम्बी य 84 घाटों की धुलाई, सफाई का कार्य शुरु हो जाता है। असंख्य दीपों की धुलाई कर व उसे सुखाकर उसमें बत्ती व सरसों का तेल डालकर घाटों पर तरह-तरह से सजाया जाता है जो सायंएक साथ संख्या बेला में प्रज्वलित किया जाता है और उसी दिन शुभ मुहूर्त में माँ गंगा की महाभारती होती है जिसका दर्शन पाने के लिए इन्सान तो क्या सभी देवी-देवता भी धरती पर अवतरित हो जाते है। ऐसी मनोहारी छवि को निहारने के लिए उस दिन पच्चीस लाख लोग गंगा तट पर उमड़ पड़ते है इसलिए देव दीपावली व चन्द्रग्रहण अच्छे से सम्पन्न हो जाए, प्रभु ने इसका प्रावधान किया है। सभी श्रद्धालुजन अपनी क्षमतानुसार अधिक से अधिक लोगों के संज्ञान में उपरोक्त जानकारी पहुंचाने की कृपा करे और सौहार्दपूर्ण वातावरण में दोनों कार्यक्रमों को अच्छे ढंग से सम्पन्न कराने में सहभागी चन स्वयं के जीवन को उल्लासमय बनायें यह कार्यक्रम हम सभी का है।
पत्रकार वार्ता में बनारस होटल एसोशिएशन के अध्यक्ष श्री गोकुल शर्मा, टूरिज्म वेलफेयर एसोशिएशन के अध्यक्ष श्री राहुल मेहता, गंगा सेवा निधि के ट्रस्टी श्री आशीष तिवारी, सचिव श्री हनुमान यादव, काशी गंगा सेवा समिति के श्री मनीष पाण्डेय आदि प्रमुख लोग उपस्थित थे।