विश्व ऑटिज्म दिवस पर बच्चों में नींद की समस्याओं पर किया जागरूकता कार्यक्रम |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस के उपलक्ष्य में रीजेंसी हेल्थकेयर ने कानपुर के काकादेव स्थित अमृता स्पेशल स्कूल एवं रिहैबलिटेशन सेंटर में ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों में नींद संबंधी बीमारियों के समाधान पर केंद्रित एक कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रतिष्ठित पीडियाट्रिक स्लीप स्पेशलिस्ट (बाल चिकित्सा नींद विशेषज्ञ) डॉ. रश्मि कपूर और प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. कुंजन गुप्ता इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुई और इस समस्या पर अपनी विशेषज्ञता और जानकारी साझा की। डॉ. कपूर ने कहा कि बच्चों के अच्छे जीवन और अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद बहुत ही आवश्यक चीज़ होती है। उन्होंने बताया कि बच्चों को ठीक रहने, स्वस्थ रहने, खुश रहने, सूचनाओं को समझने और बढ़ने के लिए नींद की आवश्यकता होती है। जो बच्चे ठीक से नहीं सोते हैं या उन्हें नींद नहीं आती है तो वे हाइपर एक्टिव हो जाते हैं जबकि वयस्कों में ऐसा नहीं होता है। नींद वजन को नियंत्रित करने में मदद करती है, जो बच्चे नहीं सोते हैं वे मोटे हो जाते हैं। एएएसएम के अनुसार एक नवजात शिशु को एक दिन में लगभग 18 घंटे सोना चाहिए, 12 महीने के बच्चे को 12 घंटे और 10 साल के बच्चे को 10 घंटे सोना चाहिए। कुछ बच्चे बचपन में बिहैविरियल इंसोमेनिया (व्यवहार संबंधी अनिद्रा) से पीड़ित होते हैं। इस वजह से वे समय पर नही सोते हैं और रात में कई बार उठते हैं, या सुबह जब उठते हैं तो चिड़चिड़े रहते हैं। इस समस्या का समाधान स्वस्थ स्लीप हाइजीन और नियमित स्लीप रूटीन बनाए रखकर किया सकता है। डॉ कुंजन गुप्ता ने बताया की ऑटिज्म के 60 से 75% बच्चें में नींद की समस्या होती है। बच्चा कभी रात में बहुत देर से सोता है या फिर सोने के बाद आधी रात में उठ जाता है। इस बीच बच्चा कभी ज्यादा चंचल हो जाता है। वह बेड पर कूदने या चिल्लाने लगता है, गुस्सा या चिड़चिड़ापन भी उसे हो सकता है। इससे बच्चे और माता पिता दोनो की दिनचर्या खराब हो सकती है।
ऑटिज्म बच्चे अपने आसपास की चीजें या माहौल देखकर उन्हें नही समझ पाते हैं कि रात का समय हो गया है और उन्हें सोना है।
इस परिस्थिति में सुधार लाया जा सकता है। हम कुछ आसान नाइट रूटीन या स्लीप हाइजीन प्रैक्टिस फॉलो कर सकते हैं जो बच्चे के दिमाग को धीरे धीरे सोने में मदद कर सकता है। अगर इससे भी बच्चा नहीं सो पाता है तो हम डॉक्टर की सलाह पर बच्चों को दवा देकर उन्हें सोने में मदद कर सकते हैं।
बच्चे का सोना बच्चे की सेहत के साथ साथ बच्चे के परिवार की अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है।
डॉ. कुंजन ने कहा कि बच्चों की अच्छी मेमोरी और जीवन की बेहतर गुणवत्ता के लिए नींद संबंधी बीमारियों के नकारात्मक प्रभाव को समझना बहुत जरूरी है। सहयोगात्मक प्रयासों और शिक्षा पहलों के माध्यम से हम एएसडी और अन्य डेवलपमेंट डिसऑर्डर (विकासात्मक विकारों) वाले बच्चों में अच्छी नींद लाने की दिशा में काम कर सकते हैं। यह कार्यक्रम सुबह 10:30 बजे से 11:30 बजे तक चला। रीजेंसी हेल्थकेयर ऑटिज्म जागरूकता को बढ़ावा देने और एएसडी वाले व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से इस तरह की पहल का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।