राजकीय बाल ग्रह में टीबी को लेकर हुआ संवेदीकरण
*स्टाफ तथा बालिकाओं को बताई गयी टीबी की गंभीरता
*समय पर इलाज और दवा के पूरे कोर्स से स्वस्थ हो सकते हैं टीबी मरीज : राजीव सक्सेना
*गोद लेकर बच्चों को टीबी से मुक्त करवाने की स्वास्थ्य विभाग की अपील
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर नगर जनपद के नवाबगंज स्थित सूर्यविहार में चल रहे राजकीय बाल ग्रह (बालिका) में संवेदीकरण कार्यक्रम सोमवार को जिला क्षयरोग अधिकारी के निर्देशन में आयोजित किया गया। इस बाल ग्रह में पिछले महीनों में दो बालिकाओं को क्षयरोग हुआ था जिनका इलाज अभी चल रहा है। इसी क्रम में वहां मौजूद अन्य बालिकाओं को क्षयरोग के प्रति सचेत करने व इसकी गंभीरता बताने के लिये जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ आरपी मिश्रा के निर्देशन में उनका संवेदीकरण किया गया। इस दौरान वहां की प्रमुख अधीक्षिका शर्मीला गुप्ता , स्टाफ नर्स अफसाना बेगम , जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना , एसटीएस शोभित सक्सेना व शालीन श्रीवास्तव मौजूद रहे। पता हो की इस बाल ग्रह में कुल 54 बालिकायें है जिनमें दो क्षयरोग से ग्रस्त हैं।
जिला कार्यक्रम समन्वयक राजीव सक्सेना ने प्रमुख अधीक्षिका से उन बालिकाओं के बेहतर पोषण के लिए आग्रह किया जो अभी क्षयरोग से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा की इलाज के दौरान दवाओं के साथ पोषक तत्वों की आवश्यकता भी सबसे ज्यादा होती है।जिला कार्यक्रम समन्वयक ने बालिकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा की टीबी का सबसे बड़ा कारण कुपोषण है। कुपोषित बच्चों में टीबी के संक्रमण का खतरा सर्वाधिक होता है। सही समय पर इलाज शुरू करने और दवा के पूरे कोर्स का सेवन कर कोई भी टीबी मरीज आसानी से स्वस्थ हो सकता है। उन्होंने बताया कि महिलाओं, एचआईवी पीड़ितों, मधुमेह के रोगियों, मलिन बस्तियों, धूल मिट्टी में काम करने वालों, कुपोषित बच्चों, धुम्रपान करने वालों और वायु प्रदूषण वाले वातावरण में लगातार रहने वाले लोगों पर टीबी का जोखिम कहीं अधिक है ।
उन्होंने कहा की जो दो बालिकायें क्षयरोग से ग्रस्त है उनमें यह विश्वास जगाना भी हम सभी का काम है कि इस बीमारी का समुचित इलाज संभव है। यह बीमारी किसी को भी हो सकती है, इसलिए बिना कोई भेदभाव किये आप सभी इनका पूरा साथ दे ताकि इलाज के दौरान उनका मनोबल बना रहे। यह भावनात्मक सहयोग दवाओं को भी असरकारक बनाएगा। अक्सर यह देखने में आता है कि लोग टीबी से ग्रसित महिलाओं और बच्चों के साथ भेदभाव करते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है, सभी से अपील है कि ऐसा कदापि न करें। उन्होंने कहा की यहाँ जो क्षयरोगी हैं वह मास्क का प्रयोग करें जिससे यह रोग औरों में ना फैलने पाये।
उन्होंने बताया कि मरीज के ठीक होने में पोषण की अहम भूमिका होती है, इसीलिए निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज चलने तक पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से दिये जाते हैं । टीबी मरीज को इलाज के दौरान दूध, अंडा, सोयाबीन, पनीर, मांस आदि प्रोटीनयुक्त भोजन का सेवन करना है। इससे जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है। साथ ही बताया की बच्चों को टीबी जैसी बीमारियों से बचाने में रोग प्रतिरोधक क्षमता की महत्वपूर्ण भूमिका है । इसी उद्देश्य से नियमित टीकारण कार्यक्रम के दौरान सरकारी प्रावधानों के तहत उन्हें बीसीजी का टीका लगाया जाता है । बच्चों में भी अगर समय से टीबी की पहचान हो जाती है तो इलाज के बाद वह ठीक हो जाते हैं।एसटीएस शोभित सक्सेना ने बताया कि कि स्वास्थ्य विभाग के पास टीबी की स्क्रीनिंग, एक्टिव केस फाइंडिंग, एकीकृत निक्षय दिवस और बेहतर जाँच से लेकर गुणवत्तापूर्ण इलाज की पूरी व्यवस्था है। जरूरत है तो बस टीबी के लक्षण जैसे- दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आ रही हो, बुखार बना रहता हो, वजन गिर रहा हो, रात में पसीना आता हो और भूख न लग रही हो तो बिना समय गंवाएं निकटतम स्वास्थ्य इकाई पर पहुंचकर जांच कराएं। शीघ्र जांच ही खुद के साथ ही करीब 15 निकट सम्पर्क के लोगों को भी टीबी से बचाएगी, क्योंकि एक टीबी मरीज अनजाने में साल भर में करीब 15 लोगों में टीबी का संक्रमण फैला सकता है।
बच्चों को टीबी से मुक्त कराएं
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आलोक रंजन ने कहा कि बच्चों को टीबी से मुक्ति दिलाना उनके लिए एक उज्जवल भविष्य की नींव रखने जैसा है। टीबी पीड़ित बच्चे की शिक्षा प्रभावित होती है। बच्चों की शीघ्र स्वस्थ होना आवश्यक है। सामाजिक लोगों और संगठनों को इस कार्य के लिए स्वतः आगे आना चाहिए। उन्होंने जनपद के समाज सेवियों, स्वयंसेवी संगठनों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों से अपील की है कि वह टीबी के बाल रोगियों को गोद लेने के लिए आगे आएं और उनको स्वस्थ बनाने में मदद करें।