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परिवार नियोजन का सही पाठ पढ़ा रहीं आशा कार्यकर्ता
Updated: 7/18/2024 1:12:00 AM By Reporter- rajesh kashyap kanpur

परिवार नियोजन का सही पाठ पढ़ा रहीं आशा कार्यकर्ता |
U-दम्पति को प्रोत्साहित कर परिवार नियोजन के स्थायी व अस्थायी साधन अपनाने की दे रहीं सलाह  |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | परिवार नियोजन के कई उपयोगी साधन मिथक और भ्रांतियों के कारण दंपति अपनाने से हिचकते हैं, लेकिन सही समय पर उचित सलाह मिल जाए तो काम बन जाता है। यह साबित कर दिखाया है जिले की चार अलग अलग आशा कार्यकर्ता ने। 
उन्होंने दंपति को पूरी जानकारी देकर और परिवार नियोजन का सही पाठ पढ़ाकर उनका विश्वास जीता और फिर परिवार नियोजन में उनकी मददगार बन गयीं । बिल्हौर ब्लॉक की आशा कार्यकर्ता नीलम देवी ने पुरुष नसबंदी, कल्याणपुर ब्लॉक की आशा कार्यकर्ता आशा निषाद ने महिला नसबंदी, भीतरगांव ब्लॉक  कार्यकर्ता अर्चना द्विवेदी ने त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और पतारा ब्लॉक की आशा कार्यकर्ता मिथलेश सविता ने पीपीआईयूसीडी की सेवा में पिछले वर्ष जिले में कीर्तिमान स्थापित किया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने इन सभी कार्यकर्ता को बधाई देते हुए जनपद की सभी अग्रिम पंक्ति कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वह 31 जुलाई तक प्रस्तावित विश्व जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े को सफल बनाएं। अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल डॉ रमित रस्तोगी ने बताया कि इस साल पखवाड़े की थीम है-दो बच्चों में पर्याप्त अंतर से होगी मां की सेहत की पूरी देखभाल। इसके अलावा इस साल विश्व जनसंख्या दिवस का स्लोगन है-विकसित भारत की नई पहचान, परिवार नियोजन हर दंपति की शान। डॉ रंजन ने कहा कि यह थीम और स्लोगन तब तक सार्थक नहीं होंगे, जब तक कि प्रत्येक आशा कार्यकर्ता, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समर्पित भाव से दंपति को सेवाओं के बारे में परामर्श नहीं देंगी और साधन की उपलब्धता नहीं कराएंगी।
आशा नीलम ने दूर की भ्रांतियां तो 11 पुरुषों ने रजामंदी से कराई नसबंदी
ब्लॉक बिल्हौर के उपकेंद्र अनई की आशा कार्यकर्ता नीलम देवी बताती हैं कि वर्ष 2015 में आशा बहु के पद पर उनका चयन हुआ । उनके घर में एक बेटा और बेटी है। उनका कहना है कि लोगों द्वारा यह मान लिया गया था कि परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की है। पुरुष नसबंदी की कोई बात नहीं करना चाहता।इस भ्रांति को तोड़ने तथा लड़का-लड़की में भेदभाव न करते हुए जिस परिवार में दो बच्चे हो जाते हैं, वह उस परिवार के पुरुष से पहले बात करती हैं। सबसे पहले उन्हें बताती हैं कि पत्नी के स्वास्थ्य व सुखी जीवन के लिए परिवार नियोजन जरूरी है। दो बच्चों के बाद स्थायी परिवार नियोजन अपनाना बेहतर होता है। महिला की अपेक्षा पुरुष नसबंदी काफी सुरक्षित व सरल है। शारीरिक रूप से इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। इन्ही भ्रांतियों को दूर कर पिछले वर्ष कुल 11 नसबंदी करवाकर नीलम ने मिसाल पेश की है।  
छोटे परिवार का महत्व बताती हैं मिथलेश सविता 
पतारा ब्लॉक के उपकेंद्र पड़रीलालपुर की आशा कार्यकर्ता मिथलेश ने वर्ष 2006 से काम शुरू किया था। 42 वर्षीय मिथलेश बताती हैं कि दंपति को परिवार नियोजन के सभी साधनों की जानकारी दी जाती है। खासतौर से जो गर्भवती होती हैं उनके प्रसव पूर्व जांच के दौरान ही परामर्श दिया जाता है ताकि प्रसव के बाद वह उचित साधन का चुनाव कर सकें। उन्हें बताया जाता है कि यह उनकी व बच्चे की सेहत के लिए बहुत जरूरी है। खुद के छोटे और नियोजित परिवार का उदाहरण देकर समझाना पड़ता हैं। ज्यादातर महिलाएं प्रसव पश्चात आईयूसीडी (पीपीआईयूसीडी) के लिए तैयार हो जाती हैं। जिन लोगों के परिजनों के मन में डर होता है कि कहीं खून की कमी न हो जाए या अन्य कोई नुकसान न हो, तो उनके परिजनों को ब्लॉक के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अभिषेक कटियार और एचईओ श्याम सुन्दर से परामर्श दिलवाया जाता है। इस तरह पिछले साल वह 46 महिलाओं को पीपीआईयूसीडी की सेवा दिलवाने में सफल हो सकीं।
महिलाओं को साथ ले जाकर चिकित्सक से परामर्श दिलवाती हैं अर्चना 
वर्ष 2006 से आशा कार्यकर्ता के रूप में भीतरगांव ब्लॉक के अमौर उपकेंद्र पर कार्य करने वाली अर्चना द्विवेदी (35) बताती हैं कि मन में बैठे भय भ्रांति और कई बार परिवार के असहयोग के कारण महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधक साधन त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन का चुनाव नहीं करती हैं। जो महिलाएं इसकी पहली डोज ले लेती हैं वह भी इससे मासिक धर्म पर पड़ने वाले स्वाभाविक प्रभावों से डर कर इसे छोड़ देती हैं । ऐसी दिक्कतों का सामना कर रहे दंपति को वह त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन के बारे में बताती हैं। महिलाओं को साथ ले जाकर चिकित्सक से परामर्श दिलवाती हैं। जो महिलाएं जांच के बाद त्रैमासिक अंतरा के लिए फिट पाई जाती हैं और यह साधन अपनाने की इच्छुक होती हैं, उन्हें यह सेवा दी जाती है। इस तरह वह पिछले वर्ष अपने क्षेत्र में करीब 24 से 30 महिलाओं को त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन की सभी डोज लगवा चुकी हैं। वह बताती हैं कि इंजेक्शन लगने के बाद जिन महिलाओं का मासिक चंक्र हार्मोनल बदलाव के कारण प्रभावित होता है, उनके डर को दूर करने के लिए परिवार नियोजन परामर्शदाता से बात कराती हैं। उनका कहना है कि अंतरा इंजेक्शन की प्रत्येक डोज के लिए 100 रुपये उनके खाते में और 100 रुपये लाभार्थी के खाते में मिलते हैं ।
महिलाओं को नसबंदी के फायदे गिनाकर राज़ी करतीं आशा निषाद 
कल्याणपुर ब्लॉक की आशा कार्यकर्ता आशा निषाद का जोर अधिकाधिक महिलाओं का सरकारी अस्पताल पर सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए होता है। इसकी वजह से उनके क्षेत्र में लोग उन पर बहुत अधिक भरोसा करते हैं। 44 वर्षीय आशा निषाद ने वर्ष 2008 से आशा के रूप में कार्य करना शुरू किया। वह बताती हैं कि गांव में गर्भवती को एंबुलेंस से अस्पताल ले जाना और सुरक्षित प्रसव करवाना उनके लिए लोगों के मन में सम्मान पैदा करता है । ऐसे में जब वह परिवार नियोजन के बारे में किसी भी दंपति से बात करती हैं तब न तो पति की तरफ से कोई बाधा आती है और न ही सास की तरफ से। गांव के लोगों के बीच भरोसा उनके लिए काम आया और एक ही वर्ष में वह जिले में सर्वाधिक 13 महिला नसबंदी करवाने में कामयाब हो सकीं।

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