जटिल हार्निया से पीड़ित 5 मरीजों हुआ सफल आपरेशन
U- शरीर में 19 तरह की हार्निया पायी जाती है
U-ओपेन, रोबोटिक व फेशियोटेन्स विधि से हार्निया का इलाज हुआ संभव
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एडब्लूआर सेमिनार के दूसरे दिन हर्निया के पांच जटिल ऑपरेशन किए गए। मुंबई से आए डॉक्टर राहुल मोहदर ने बताया की शरीर में हर्निया 19 तरह का पाया जाता है नाभी, जांध,ब्रेन,पेट के बीच में और बहुत जगह पाया जाता है। मरीज की रिपोर्ट के आधार पर सर्जरी अलग-अलग विधि से की जाती है।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज में चल रहे सेमिनार के दूसरे व समापन दिवस पर डा0 राहुल मोहदर ने बताया कि हार्निया होने का मुख्य कारण पेट में चोट का लगना, पेट में एक से ज्यादा आपरेशन का होना इसका कारण है। वहीं इसी क्रम में सर्जरी विभागध्यक्ष प्रो0 डॉ जी.डी.यादव ने बताया कि अगर हार्निया का आंकडा देखे तो लगभग 40 प्रतिशत लोगो को हार्निया होता है। इसके साथ ही पूर्व में जिनको हार्निया हुआ होता है उनमें भी 30 प्रतिशत तक हार्निया होने की प्रबल संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 तक तीन तरह से हार्निया की सर्जरी होती थी,लेकिन अब नई तकनीक विधि से सर्जरी की जा रही है जिनमें ओपेन, रोबोटिक व फेशियोटेन्स विधि है। वर्ष 1890 से लेकर 1990 तक एक ही विधि से हार्निया का आपरेशन होता था जिसे बेसिनी कहते है। वही 90 के दशक में जाली के द्वारा सर्जरी की जाने लगी। वर्ष 2000 में लेप्रोस्कोपी से आपरेशन होने शुरू हो गए तो वही 2010 के बाद एडवांस टेक्निालॉजी से इलाज संभव हो पाया। इसी क्रम में डा0 राहुल खन्ना ने मेडिकल छात्रो को सम्बोधित करते हुए उन्हें हार्निया के बारे में जानकारी दी तो डा0 पुनीत पुरी ने डिबेट की। हार्नियां महिलाओ और पुरूषो दोनो में बराबर होने की संभावना रहती है। जिन महिलाओं का एक से अधिक आपरेशन पेट का हो चुका होता है उनमें यह समस्या अधिकांश पायी जाती है। लेकिन अब इन विधियों से हार्निया का सफल इलाज अब संभव हो पाया है जिसमें मरीज को कम दर्द से गुजरना होगा। प्राचार्य प्रो0 डॉ संजय काला ने सेमिनार में शिकरत करने वाले सभी चिकित्सको का आभार व्यक्त किया और डॉ जीडी यादव को बधाई देते हुए उनकी प्रशंसा की।