यूपीयूएमएस में"आत्महत्या की सोच को बदलना है" जिसमें "बातचीत शुरू करना" थीम पर मनाया गया विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस
*आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं इसीलिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक - कुलपति
*विश्वविद्यालय में गुरु शिष्य परंपरा(मेंटर मेंटी) कार्यक्रम के तहत मेडिकल छात्रों का होता है मार्गदर्शन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस इटावा (सैंफई )यूपीयूएमएस में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर मंगलवार को एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें इस वर्ष की थीम "आत्महत्या की सोच को बदलना है"जिसमें "बातचीत शुरू करना है"इस पर मंथन हुआ।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलपति प्रो.डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि अक्सर जीवन में अकेलापन और अवसाद का सामना हर किसी को करना पड़ता है लेकिन आत्महत्या समस्या का कोई समाधान नहीं है इसीलिए लोगों को आत्महत्या से बचाने के लिए समाज में जागरूकता लानी बहुत आवश्यक है।
संकायाअध्यक्ष प्रोफेसर डॉ आदेश कुमार ने मेडिकल छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी अलग-अलग परिवेश से इस विश्वविद्यालय में आए हैं जब कभी भी आप मानसिक तनाव अवसाद से ग्रसित हो तो व्यक्तिगत रूप से भी आकर संपर्क कर सकते हैं, अपनी समस्या बता सकते हैं। स्टूडेंट वेलफेयर डीन प्रो. डॉ आलोक दीक्षित ने भी छात्रों से कहा कि आपस में सभी छात्र आपसी समन्वय व संवाद बनाए रखें और आपस में एक दूसरे की मदद करते रहें जिससे आत्महत्या जैसी घटनाओं से बचा जा सकता है। मानसिक स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अरुण कुमार मिश्रा ने कहा कि माननीय कुलपति द्वारा दिए गए सुझावों के अनुसार हम मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए बेहतर मेंटल हेल्थ प्रोग्राम्स के संदर्भ में रूपरेखा तैयार कर रहे हैं जिससे स्टूडेंट में अकेलापन,अवसाद तनाव कम किया जा सके।मानसिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ कौस्तुभ कुंण्डू ने अपने व्याख्यान में आत्महत्या के जोखिम को प्रभावित करने वाले कारक मानसिक विकार, औषधि दुरुपयोग,मानसिक अवस्थाएं, संस्कृति ,परिवार और सामाजिक परिस्थितियों, शैक्षिक गतिविधियों के संदर्भ में विस्तार पूर्वक जानकारियां दी व सरकार द्वारा आत्महत्या रोकथाम के लिए किया जा रहे प्रयासों के संदर्भ में भी बताया।
विश्वविद्यालय में गुरु शिष्य परंपरा(मेंटर मेंटी) कार्यक्रम के तहत मेडिकल छात्रों का होता है मार्गदर्शन
फार्माकोलॉजी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विनय कुमार गुप्ता ने कहा कि विश्वविद्यालय मेडिकल छात्र-छात्राओं को अवसाद,तनाव से बचाने के लिए गुरु शिष्य परंपरा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक पांच मेडिकल छात्रों के बीच एक फैकेल्टी मेंबर नामित किया जाता है। जो छात्र-छात्राओं से व्यक्तिगत रूप से जुड़कर आत्मीय संवाद बनाते हुए उनकी समस्याओं को सुनता है और उनकी परेशानियों को दूर करता है। जिससे विश्वविद्यालय परिसर में भी उन्हें घर जैसा माहौल मिल सके और उन्हें बेहतर मार्गदर्शन दिया जा सके।
आत्महत्या रोकथाम के संदर्भ में
एमबीबीएस फाइनल ईयर के अदिति,वर्षा,शोएब,जेमन द्वारा "छात्र का अवसाद" नाटक की प्रस्तुति कर आत्महत्या रोकथाम के संदर्भ में सभी को जागरूक किया गया।
कार्यक्रम में गरिमामय उपस्थित प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ रमाकांत चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसपी सिंह,रजिस्टर डॉ चंद्रवीर,डॉ प्रशांत चौधरीव अन्य फैकल्टी सदस्य उपस्थित रहे।