डीपीटी व टीडी से वंचित चल रहे बच्चे टीकाकरण से होंगे संतृप्त |
--बच्चों के गले और टान्सिल को प्रभावित करता है डिप्थीरिया का कीटाणु - डीआईओ |
--सात अक्टूबर तक चलेगा अभियान, डीआईओ ने अभिभावकों को प्रेरित करने पर दिया ज़ोर |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | डिप्थीरिया (गलघोंटू) की रोकथाम व बचाव के लिए स्कूल जाने वाले बच्चों को 26 सितम्बर से डिप्थीरिया-पर्ट्यूसिस-टिटनेस (डीपीटी) व टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) का टीका लगाने का स्कूल आधारित टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा। स्कूल आधारित यह विशेष टीकाकरण अभियान 26 सितम्बर से सात अक्टूबर तक मध्य गैर टीकाकरण दिवस में जनपद के समस्त राजकीय व निजी क्षेत्र के स्कूलों में चलेगा। इसके लिए बुधवार को सीएमओ कार्यालय में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया गया। एसीएमओ व जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ यूबी सिंह ने बताया कि प्रदेश के कुछ जिलों में डिप्थीरिया बीमारी के मामले प्रकाश में आने के कारण शासन द्वारा पूरे प्रदेश में यह पहल की गयी है । अभियान से पहले संबंधित स्कूलों के शिक्षकगण, अभिभावक बैठक और स्कूल डायरी के जरिये अभिभावकों से टीकाकरण के लिए सहमति लेंगे। जो अभिभावक सहमति नहीं देंगे उन्हें प्रेरित कर उनके बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा । उन्होंने अपील की है कि स्कूल के प्रधानाचार्य व अध्यापक इस अभियान में रुचि दिखाएं, जिससे यह अभियान शत-प्रतिशत सफल बनाया जा सके। डॉ यूबी सिंह ने बताया की स्कूल आधारित टीकाकरण अभियान 26 सितम्बर के मध्य गैर टीकाकरण दिवस जैसे 26, 27 व 30 सितम्बर एवं एक, चार व सात अक्टूबर को समस्त राजकीय एवं निजी स्कूलों में आयोजित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) और जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) को सहयोग हेतु संपर्क किया जा चुका है। डॉ सिंह ने बताया कि गलघोंटू या डिप्थीरिया एक जीवाणु (कोराइन बैवेटरिया डिप्थीरिया) द्वारा फैलने वाला संक्रामक रोग है। जो आमतौर पर गले और टान्सिल को प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे जिन्होंने डिप्थीरिया का टीकाकरण नहीं करवाया है, उन्हें यह रोग होने की सम्भावना रहती है। इसमें गले में एक ऐसी झिल्ली बन जाती है जो सांस लेने में रुकावट पैदा करती है, जिससे गंभीर समस्या हो सकती है। इसके लक्षणों में गले में खराश, आवाज बैठ जाना या खाना निगलने में दर्द होना तथा ग्रसनी और नाक में झिल्ली बन जाना है। डिप्थीरिया के जीवाणु के संक्रमित व्यक्ति के मुंह, नाक, गले में रहते हैं। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने और छींकने से फैलता है। उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ पीबी सिंह ने बताया है कि कक्षा एक में अध्ययनरत पाँच वर्ष तक के बच्चों को डीपीटी सेकेंड बूस्टर डोज, कक्षा पाँच में अध्ययनरत 10 वर्ष तक के बच्चों को टीडी प्रथम डोज़, कक्षा 10 में अध्ययनरत 16 वर्ष तक के बच्चों को टीडी बूस्टर डोज़ से आच्छादित किया जायेगा। प्रत्येक टीकाकरण सत्र पर एडवर्स इवैंट फोलोविंग इम्यूनाइजेशन (एईएफ़आई) प्रबंधन के लिए आवश्यक किट एवं डीपीटी के पश्चात् बुखार के प्रबन्धन के लिए आवश्यक दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है । इस दौरान शहरी आरआई नोडल अधिकारी व डिप्टी सीएमओ डॉ राजेश्वर सिंह सहित सहयोगी संस्थाओं में विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और यूएनडीपी प्रतिनिधि व स्वास्थ्य केंद्रों के अधीक्षक व अन्य लोग उपस्थित रहे।