ब्लॉक स्तर पर टीबी उन्मूलन पर हो रहा मंथन
*टीबी मुक्त ग्राम पंचायत एवं फैमिली केयर गिवर के विषय में ग्राम सचिवों का हुआ संवेदीकरण
*समुदाय में टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ने से टीबी मुक्त होगा भारत - डीटीओ
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर नगर टीबी मुक्त पंचायत को जनांदोलन बनाने के लिए हर गांव में टीबी उन्मूलन का प्रयास होगा। ग्राम पंचायत की खुली बैठकों में इसके बारे में चर्चा होगी और स्वास्थ्य समितियों के जरिये नये रोगियों को खोजने और उनके इलाज में मदद की जाएगी। इसी उद्देश्य से जिले के सैकड़ों ग्राम पंचायत और ग्राम सचिवों का बुधवार को विकास भवन सभागार में संवेदीकरण किया गया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला पंचायती राज अधिकारी मनोज कुमार ने सभी से अपील किया कि अपने गांवों के वार्ड मेंबर और सामाजिक लोगों को निक्षय मित्र बनने के लिए प्रेरित करें। टीबी उन्मूलन स्वास्थ्य विभाग के प्रयासों के साथ साथ सामाजिक और अन्य सहयोगी विभागों की मदद से ही संभव होगा। यह जनस्वास्थ्य का एक गंभीर मुद्दा है और इस पर सभी को समन्वित प्रयास करने चाहिए। प्रत्येक गांव की स्वास्थ्य और स्वच्छता समितियों की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा अवश्य हो। टीबी के लक्षण वाले व्यक्तियों को आगे आकर जांच व इलाज करवाने के लिए प्रेरित करें। जिला पंचायती राज अधिकारी ने कहा कि टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के पर्यवेक्षकों के साथ समन्वय स्थापित कर प्रत्येक खुली बैठक में उन्हें आमंत्रित करें। प्रत्येक बैठक में टीबी के लक्षणों, इलाज और इससे बचाव के बारे में चर्चा अवश्य हो। टीबी उन्मूलन एक सामुदायिक जनांदोलन बन सके, इसके लिए प्रत्येक सचिव खुद निक्षय मित्र बन कर टीबी मरीजों को गोद लें। साथ ही दूसरे लोगों को उपचाराधीन मरीजों को गोद लेकर पोषण और मानसिक संबल प्रदान करने के लिए प्रेरित करें।
इस मौके पर जिला क्षयरोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ आरपी मिश्रा का ने बताया कि पिछले तीन सालों में जिन क्षेत्रों में अधिक या कम टीबी मरीज मिले हैं उनकी सूची ग्राम और वार्ड वार तैयार करें। उनमें से हर माह 10-10 ग्राम पंचायतों को चिन्हित करें। इसके बाद वहाँ विशेष ध्यान देकर स्क्रीनिंग, जांच, उपचार, परामर्श, पोषण व भावनात्मक सहयोग प्रदान कर जल्द से जल्द टीबी मुक्त पंचायत के रूप में घोषित करें।
उन्होंने कहा कि सामुदायिक स्तर पर टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ने से क्षय रोगियों को सामाजिक स्तर पर मिलने वाले तिरस्कार से मुक्ति के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य व्यवहार मिलने में मदद मिलेगी। शासन से प्राप्त निदेर्शों के मुताबिक क्षय रोगी के परिवार या करीबी लोगों में से ऐसे व्यक्ति की पहचान की जाएगी जो उसे उपचार प्राप्त करने में मदद कर सके, उसकी देखभाल कर सके, रोगी के लिए जरूरी पोषण का ध्यान रख सके। ऐसे व्यक्ति को फैमिली केयर गिवर (प्राथमिक देखभाल कर्ता) कहा जाएगा।
डीटीओ ने कहा कि दो हफ्ते या इससे ज्यादा समय की खांसी, बार बार बुखार आना, वजन में लगातार कमी, भूख न लगना, रात में पसीना आना और सीने में दर्द इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।
इस कार्यक्रम में सभी ब्लॉकों के ग्राम सचिवों समेत जिला पीपीएम समन्वयक सुधीर कुमार सहित अन्यलोग भी उपस्थित रहे।