डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया रोग से लड़ाई में जुटें निजी चिकित्सक |
-- निजी चिकित्सक यूडीएसपी पोर्टल पर दर्ज करें मरीजों का ब्योरा - एडी हेल्थ |
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर | केंद्र सरकार द्वारा डेंगू, चिकुनगुनिया और मलेरिया के प्रबंधन और इलाज के लिए नए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसी क्रम में शनिवार को जनपद के एक स्थानीय होटल में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान एवं गोदरेज (जी.सी.पी.एल.) और पाथ-सीएचआरआई संस्था के सहयोग निजी एवं सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को इन दिशा निर्देशों के बारे में जानकारी देने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित हुआ। प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ विकास मिश्रा व मेडिसिन विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ बीपी प्रियदर्शी द्वारा प्रशिक्षण दिया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल की अपर निदेशक डॉ संजू अग्रवाल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा की डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया संक्रमणों के प्रभाव को कम करने के लिए मच्छर नियंत्रण और सार्वजनिक जागरूकता में सक्रिय प्रयास महत्वपूर्ण हैं। अक्सर देखा गया है की डेंगू, चिकनगुनिया एवं मलेरिया रोग से ग्रस्त रोगियों का निजी अस्पताल जांच के बाद उपचार तो शुरू करते हैं, मगर इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को नहीं मिल पाती है। ऐसे में कई बार गंभीर बीमारियों पर रोकथाम के लिए समय पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाती है। उन्होंने कहा की सभी अस्पतालों और पैथालॉजी को रोजाना यूडीएसपी पोर्टल पर जांच की रिपोर्ट पोर्टल पर दर्ज करनी होगी। ऐसे में संचालकों को अपने अस्पताल और लैब को उत्तर प्रदेश सरकार के यूनीफाइड,डीजीज सर्विलेंस पोर्टल ( यूडीएसपी) पर स्वत: पंजीकृत करना होगा। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ पीबी सिंह ने कहा कि संचारी रोगों के उपचार के नवीन प्रोटोकॉल की जानकारी से सरकारी और निजी दोनों ही अस्पतालों के मरीजों को लाभ मिलेगा | इन बीमारियों को रोकने में समुदाय की भूमिका भी अहम् है | उन्होंने कहा कि डेंगू में तेज बुखार के साथ सिर दर्द, ऑखों के आस-पास और जोड़ों में दर्द होता है, आँखें लाल हो जाती हैं | गंभीर स्थति में नाक और मसूड़ों से खून भी आने लगता है | जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि बुखार के मरीज की मलेरिया जांच की जानी चाहिए और जो पॉजिटिव हों उन्हें त्वरित और पूर्ण उपचार शुरू करें ताकि हम रोग के संचरण की चेन को तोड़ सकें | प्रोफ़ेसर डॉ विकास मिश्रा व प्रोफ़ेसर डॉ बीपी प्रियदर्शी ने डेंगू व चिकनगुनिया सम्बंधित नैदानिक अभिव्यक्तियाँ और प्रबंधन के बारे में बताया। उन्होंने कहा की डेंगू वायरस के चार अलग-अलग सीरोटाइप के कारण होता है। इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक होते हैं और इसमें तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, दाने और हल्का रक्तस्राव शामिल हैं। कुछ मामलों में, डेंगू बढ़कर डेंगू रक्तस्रावी बुखार (डीएचएफ) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (डीएसएस) में बदल सकता है, जो गंभीर रक्तस्राव और अंग विफलता की विशेषता वाली जीवन-घातक स्थितियां हैं। चिकनगुनिया का प्रमुख लक्षण जोड़ों में असहनीय दर्द है, जिससे अक्सर मरीज़ आराम से चलने-फिरने में भी असमर्थ हो जाते हैं। उन्होंने कहा की दोनों बीमारियों के निदान में नैदानिक मूल्यांकन, रक्त परीक्षण और कभी-कभी, वायरस अलगाव शामिल होता है। इन बीमारियों के प्रभावी ढंग से प्रबंधन और उपचार के लिए शीघ्र पता लगाना महत्वपूर्ण है। डेंगू का उपचार सहायक देखभाल, पर्याप्त जलयोजन और प्लेटलेट काउंट की करीबी निगरानी के इर्द-गिर्द घूमता है।