धर्मःश्रीकृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ने के लिए उंगली पर उठाया था गोवर्धन पर्वत:सुदीप जी
-आनंदेश्वर धाम आश्रम मानीमऊ ऋऋषि नगर मां दुर्गा सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण की पांचवे दिवस में मथुरा से पधारे पंडित सुदीप जी महाराज ने अजामिल उपाख्यान में भगवान के नाम के प्रभाव का वर्णन किया
कन्नौज ब्यूरो पवन श्रीवास्तव के साथ प्रिंस श्रीवास्तव
हिंदुस्तान न्यूज एक्सप्रेस कन्नौज संवाददाता।आनंदेश्वर धाम आश्रम मानीमऊ ऋषि नगर मां दुर्गा सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित 21 कुण्डीय शतचण्डी महायज्ञ एवं श्रीमद भागवत महापुराण, रासलीला,रामलीला एवं सन्त महामहोत्सव के पांचवे दिवस में मथुरा से पधारे पं.सुदीप जी महाराज ने सैकड़ों की संख्या में मौजूद भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन कर उन्हें भावविभोर किया।जिसको सुन ओता मंत्रमुग्ध हो गए।आचार्य जी ने कहा कि जब जब पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है,अत्याचार बढ़ता है,अन्याय वढ़ता है तब तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेकर दुष्टों का संहार करके संतो की रक्षा एवं धर्म की पुनः स्थापना करते हैं।उन्होंने माखन चोरी के प्रसंग में वताते हुए कहा की माखन ही लोभ हैं। ब्रज गोपिकाओ के अंदर जो काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर,अहंकार आदि विकार थे। उन्हें भगवान श्रीकृष्ण ने चुराकर व्रज गोपिकाओं को पवित्र कर दिया।कालिया मर्दन की कथा को सुनाते हुए व्यास जी ने कहा भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं यमुना में गेंद फेंका और फिर स्वयं ही गेंद के बहाने यमुना में कूद गए और कालिया नाग को निकालकर यमुना को पवित्र कर दिया।यमुना का जल स्नान करने योग्य एवं पीने योग्य कर दिया। यमुना को पवित्र कर दिया,ठीक इसी प्रकार संत विद्वान गण अपने कथा एवं प्रवचन के माध्यम से मनुष्य के अंदर जो काम, क्रोध, लोभ, मोह रूपी विकार बैठा हुआ है उसको प्रवचन के माध्यम से निकाल कर उन्हें पवित्र कर देते हैं।इसके बाद आचार्यश्री ने गोवर्धन जी की पूजा कराई।गोवर्धन पर्वत धारण करके भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के कोप से व्रज वासियों की रक्षा की।बाल कलाकारों की प्रतिभा देख सभी मंत्रमुग्ध हो गये और पूरा पाण्डाल राधे राधे के नाम से गूंज उठा।इस दौरान आनंदेश्वर पीठाधीश्वर कौशल जी महाराज, समिति अध्यक्ष ठाकुर बलराम सिंह दाउ भय्या, मुख्य यजमान बृजकिशोर त्रिपाठी, सनातन धर्म सेवा संस्थान के अध्यक्ष रमेश चन्द्र शुक्ला, कोषाध्यक्ष प्रभात त्रिपाठी, दिलीप सैनी, विजय द्विवेदी, महाराणा प्रताप, विजय सारस्वत, कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, शिवांक त्रिपाठी, सत्यमदत्त दुबे,आशुतोष त्रिपाठी, प्रदीप तिवारी, आचार्य आदित्य तिवारी, अवधेश श्रीवास्तव, सोनू ठाकुर,गिरीश पाल,राजेश सिंह सहित सैकड़ों पुरूष व महिला भक्तों ने हिस्सा लिया।