सैफई मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में एड्स से बचाव के लिए लोगों को किया गया जागरूक
*पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक कर बताया एड्स के रोगियों के साथ न करें भेदभाव
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस सैफई (इटावा) सैफई मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में आईएपीईएन चैप्टर इटावा के तत्वाधान में विश्व एड्स दिवस के संदर्भ में ओपीडी में आए लोगों को एड्स से बचाव के लिए जागरूक किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ रमाकांत ने लोगों को बताया कि एचआईवी संक्रमित लोगों के साथ रहने, खाना खाने से एड्स नहीं होता, इसीलिए संक्रमित लोगों से किसी प्रकार का भेदभाव समाज में न किया जाए जिसके लिए लोगों का जागरूक होना आवश्यक है।
आईएपीईएन चैप्टर के अध्यक्ष जनरल सर्जरी विभाग प्रोफेसर डॉ सोमेंद्र पाल ने बताया कि
एड्स- एच.आई.वी. नामक विषाणु से होता है। संक्रमण के लगभग 12 सप्ताह के बाद ही रक्त की जॉंच से ज्ञात होता है कि यह विषाणु शरीर में प्रवेश कर चुका है, ऐसे व्यक्ति को एच.आई.वी. पोजिटिव कहते हैं। एच.आई.वी. पोजिटिव व्यक्ति कई वर्षो (6 से 10 वर्ष) तक सामान्य प्रतीत होता है और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है, लेकिन दूसरो को संक्रमित करने में सक्षम होता है इसीलिए लोगों को समाज में जागरूक होना आवश्यक है।उन्होंने कहा कि यह विषाणु मुख्यतः शरीर को बाहरी रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाले रक्त में मौजूद टी कोशिकाओं (सेल्स) व मस्तिष्क की कोशिकाओं को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे उन्हे नष्ट करता रहता है कुछ वर्षो बाद (6 से 10 वर्ष) यह स्थिति हो जाती है कि शरीर आम रोगों के कीटाणुओं से अपना बचाव नहीं कर पाता और तरह-तरह का संक्रमण (इन्फेक्शन) से ग्रसित होने लगता है इस अवस्था को एड्स कहते हैं।
पैरामेडिकल के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक कर ओपीडी में आए लोगों को बताया कि एड्स लाइलाज है बचाव ही उपचार है इसीलिए असुरक्षित यौन संबंधों से बचें व एक ही सिरिंज का बार-बार प्रयोग ना करें, अनजान व्यक्ति से रक्त न लें एचआईवी जांच कराया हुआ ही रक्त लें व किसी तरह का एचआईवी संक्रमित लोगों के साथ भेदभाव न करें।
कार्यक्रम में डॉ विजय मिश्रा, डॉ अनुज, डॉ राजमंगल,डॉ ज्योत्सना ,डॉ अजय व के नर्सिंग सुपरीटेंडेंट लवली जेम्स आईएपीईएन सेक्रेटरी सीनियर डाइटिशियन अलका रानी व ओपीडी स्टाफ उपस्थित रहा।