निक्षय मित्र बना मां कांशीराम संयुक्त जिला चिकित्सालय
*कुल 51 टीबी के उपचाराधीन मरीजों को गोद लेकर दी गयी पोषण पोटली
*टीबी का इलाज पूरी तरह सम्भव, नियमित दवा सेवन और देखभाल जरुरी - एडी हेल्थ
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर नगर टीबी के उपचाराधीन मरीजों को गोद लेकर पोषण में सहयोग, मानसिक संबल देने और योजनाओं का लाभ दिलवाने से संबंधित निक्षय मित्र योजना में लगातार अभिनव प्रयास सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में मां कांशीराम संयुक्त जिला चिकित्सालय एवं ट्रॉमा सेंटर ने पूरे जिले में मिसाल पेश की है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानपुर मंडल की अपर निदेशक (एडी) डॉ संजू अग्रवाल की अध्यक्षता में गुरुवार को चिकित्सालय परिसर में आयोजित कार्यक्रम में कुल 35 चिकित्सकों, स्टाफ और स्वास्थ्य अधिकारियों ने कुल 51 टीबी उपचाराधीन मरीजों को एक साथ गोद लिया है। अपर निदेशक ने कहा कि गोद लेने वाले मरीज को इलाज चलने तक प्रति माह पोषण संबंधी सहयोग देने के साथ साथ लगातार फॉलो अप करना है ताकि उसकी दवा नियमित तौर पर चलती रहे । साथ ही कहा कि टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है। लेकिन इसके लिए नियमित दवा सेवन और देखभाल भी बेहद जरूरी है। सभी शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्रों और चिकित्सालयों में टीबी जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके लक्षण नजर आते ही तत्काल जांच करानी चाहिए।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने बताया कि देश को वर्ष 2025 तक क्षय मुक्त बनाने को लेकर प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने के लिए जनपद में हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं । गोद लिए गए क्षयरोगियों को डॉट्स के माध्यम से दी जाने वाली औषधियों को बिना दवा बंद किये सम्पू्र्ण उपचार अवधि में खाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है । उन्होने कहा कि संपूर्ण इलाज के बाद टीबी पूरी तरह से ठीक हो जाती है । यह बेहद जरूरी है कि क्षय रोगियों को प्रोटीन, विटामिन युक्त आहार मिलता रहे, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने में काफी मदद मिलेगी ।जिला क्षयरोग अधिकारी (डीटीओ) डॉ आरपी मिश्रा ने बताया कि विभिन्न वर्गों के लोग और कई संस्थाएं जन्मदिन, पुण्यतिथि और स्थापना दिवस जैसे मौकों पर नये उपचाराधीन टीबी मरीजों को गोद ले रही हैं। इसी कड़ी में चिकित्सालय में आयोजित कार्यक्रम पर 35 चिकित्सकों व स्टाफ ने कुल 51 टीबी मरीजों को गोद लिया है। साथ ही कहा कि अगर लगातार दो हफ्ते से खांसी आए, बलगम में खून आए, रात में बुखार के साथ पसीना आए, तेजी से वजन घट रहा हो, भूख न लगे तो नजदीकी सरकारी अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र, टीबी यूनिट पर निःशुल्क टीबी जांच करवा सकते हैं। अगर जांच में टीबी की पुष्टि हो तो पूरी तरह ठीक होने तक इलाज चलाना है।
चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ नवीन चंद्रा ने बताया कि टीबी उपचाराधीन गोद लिये गए मरीज़ सभी कमजोर आय वर्ग के हैं और ज्यादातर छोटे किसान या मजदूर परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बताया कि गोद लेने वाले सभी निक्षय मित्रों ने संकल्प लिया है कि वह ठीक होने तक गोद लिये गये मरीजों का फॉलो अप करेंगे। सभी मरीजों को पोषण पोटली में भुना चना, मूंगफली दाना, गुड़, ग़ज़क व सत्तू दिया गया है। आगे भी यथासंभव पोषण सामग्री प्रदान की जाएगी।
1000 रुपये मिलेगी प्रोत्साहन राशि
डीटीओ ने उपस्थित लोगों को बताया कि टीबी के इलाज में पोषण की महत्ता को देखते हुए ही निक्षय मित्र योजना चलाई जा रही है। पोषण से भरपूर खानपान से मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं। सरकार ने भी एक नवम्बर से पोषण के लिए प्रति माह 500 की दर से मिलने वाली धनराशि बढ़ा कर 1000 रुपये कर दिया है।
इस दौरान एसटीएस डॉ विनीत दीक्षित, एसएम नम्रता श्रीवास्तव, टीबीएचबी सुनील कुमार सहित चिकित्सालय का अन्य स्टाफ उपस्थित रहा।