संघ का शताब्दी वर्ष: कानपुर प्रांत के 1048 मंडलों में होंगी साइकिल यात्राएं
U-मंडलों में भारतमाता पूजन-समरसता भोज का भी आयोजन होगा
U-रविदास जयंती का विशेष तौर पर किया जाएगा आयोजन
हिंदुस्तान न्यूज़ एक्सप्रेस कानपुर। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना का शताब्दी वर्ष शुरू हो गया है। संघ की ओर से देश भर में विभिन्न आयोजन प्रांत स्तर पर शुरू किए जा रहे हैं। जिसमें शहरों के साथ-साथ गांवों को एक दूसरे से जोड़ने पर काम किया जाएगा। संघ की स्थापना 1925 में विजयदशमी के अवसर पर नागपुर में की गई थी।
इसी कड़ी में कानपुर प्रांत की ओर से फरवरी तक की कार्ययोजना तैयार की है। इसमें पहली जनवरी से 10 जनवरी तक साइकिल यात्राएं शुरू की गई हैं। यह यात्राएं कानपुर से लेकर बुंदेलखंड के सभी जिलों, ललितपुर, झांसी के साथ प्रांत में आने वाले सभी जिलों के 1048 मंडलों जाएंगी। इसके लिए स्वयंसेवकों की टोलियां साइकिल से प्रत्येक मंडलों में पहुंचेंगी। इसके साथ ही संघ के 20 से 25 स्वयं सेवक जिसमें कई पदाधिकारी भी होंगे वे इन मंडलों के किसी न किसी गांवों में रात्रि प्रवास भी करेंगे। इन आयोजनों की तैयारी को लेकर पिछले एक सप्ताह से लगातार पदाधिकारियों की बैठकें आयोजित की गई हैं। इसमें क्षेत्र कार्यवाह, प्रांत संघचालक, प्रांत प्रचारक, विभागों के पदाधिकारी शामिल रहे। तय किया गया है कि साइकिल यात्रा के बाद 12 से 17 जनवरी के बीच इन्हीं मंडलों में समरसता भोज का आयोजन होगा। इसमें सभी समाजों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करेंगे। इस भोज के जरिए अगड़ा, पिछड़ा, दलित, अनुसूचित जनजाति सभी को एक मंच पर लाने की कवायद के रूप में भी इस कार्यक्रम को देखा जा रहा है। इसी तरह 24 से 28 जनवरी के बीच भारतमाता पूजन का कार्यक्रम रखा गया है। शहर-शहर और गांव-गांव भारतमाता के चित्र, पोस्टर और मूर्तियों के माध्यम से देश प्रेम की अलख जगाई जाएगी। इसके बाद 12 फरवरी को देश और प्रदेश भर में रविदास जयंती का आयोजन विशेष तौर पर किया जाएगा। सोशल मीडिया का समाज और बच्चों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को लेकर चर्चा। महापुरुषों के विषय में जानकारी दी जाएगी। जिसमें महर्षि दयानन्द सरस्वती, भगवान बिरसामुंडा, अहिल्यादेवी होलकर, रानी दुर्गावती, अनुकूलचन्द ठाकुर प्रमुख हैं। इसी तरह सरसंघचालक मोहन भागवत के पंच परिवर्तन जिसमें सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबोधन, पर्यावरण, स्व पर आधारित जीवन शैली और नागरिक कर्तव्य शामिल हैं, उसके विषय में समाज के बीच चर्चा रही।